अशाेक यादव, लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित दैनिक मजदूरों, पटरी दुकानदारों, रिक्शा चालकों आदि के लिए आया 1,61,33,93,000 रुपये का बजट वापस चला गया है। प्रदेश के 75 जिलों के जिलाधिकारी इस बजट में से एक पैसा खर्च नहीं कर पाए। आखिरकार शासन ने इस बजट को 17 फरवरी को वापस ले लिया।
कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक थी। इस दौरान संक्रमण से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया था। जिससे रोज कमाकर खाने वाले पटरी दुकानदार, ठेला, खोमचा लगाने वाले, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, ई रिक्शाचालक, पल्लेदार, धोबी, मोची, हलवाई आदि के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था।
इन्हें राहत देने के लिए सरकार ने ऐसे परिवारों को 1000 रुपये बैंक खाते में देने का निर्णय लिया था। शासन के निर्देश पर तत्कालीन सचिव रणवीर प्रसाद ने राज्य आपदा मोचक निधि से 9 जून 2021 को सभी जिलाधिकारियों के बैंक खातों में कुल 1,61,33,93,000 रुपये की धनराशि भेजी थी।
16 लाख से अधिक परिवारों को होना था वितरण
इस धनराशि से प्रदेश भर में लॉकडाउन से प्रभावित दिहाड़ी मजदूर, पटरी दुकानदार, रिक्शा चालक, ठेला, खोमचा लगाने वाले लगभग 16,13,393 परिवारों को 1000 रुपये की धनराशि वितरित होनी थी। लगभग आठ महीने यह धनराशि सभी जिलों के कोषागार में पड़ी रही। इस आपदा की घड़ी में किसी भी जरूरतमंद को धनराशि का एक भी पैसा वितरण नहीं हुआ।
फीडिंग नहीं करवा पाए जिलाधिकारी
शासन के पास जो आंकड़े थे उसके आधार पर जिलाधिकारियों को लाभार्थियों की फीडिंग करानी थी। पूरे जिले में ऐसे लोगों को चिन्हित करना और उनका आंकड़ा दर्ज करना बड़ी समस्या थी। पिछले साल अप्रैल से तीन महीने कोरोना अपने चरम पर था। जब तक बजट आया तब तक कोरोना का प्रकोप कम हो चुका था। जिसके बाद धनराशि वितरण का कार्य शुरू ही नहीं हुआ।