नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें राज्य सरकार को 30 साल से अधिक की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति को पेंशन संबंधी लाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि राज्य को अपनी खुद की गलती का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
पीठ ने कहा कि, तीस वर्षों तक लगातार सेवाएं लेना और उसके बाद यह दलील देना कि कोई कर्मचारी जिसने 30 वर्षों तक निरंतर सेवा की है, पेंशन के लिए पात्र नहीं होगा, अनुचित रुख के अलावा और कुछ नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य के रूप में, राज्य को ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहिए था।
पीठ ने कहा कि, वर्तमान मामले में, उच्च न्यायालय ने राज्य को प्रतिवादी को पेंशन लाभ का भुगतान करने का निर्देश देने में कोई त्रुटि नहीं की है, जो 30 साल से अधिक सेवा प्रदान करने के बाद सेवानिवृत्त हुआ है।