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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महंगाई भत्ते के साथ ही कर्मचारियों को मिल रहे 6 और भत्ते समाप्त करने पर जताया एतराज

अशाेेेक यादव, लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महंगाई भत्ते के साथ ही कर्मचारियों को मिल रहे 6 और भत्ते समाप्त करने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ऐसे निर्णय कर्मचारियों के साथ सौतेले पन का प्रतीक है ।

प्रदेश के सभी कर्मचारी इस फैसले से अत्यंत निराश है। परिषद के संगठन प्रमुख के के सचान, अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा है कि उक्त आदेश के आने के बाद प्रदेश के सभी जनपदों से कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई, प्रदेश के लाखों कर्मचारी राज्य सरकार के फैसले से निराश हो गए हैं । उक्त सभी भत्ते विगत लंबे अरसे से कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे थे।

परिषद ने कहा कि केंद्र सरकार ने तो केवल महंगाई भत्ता ही रोका था, उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानते हुए केंद्र से भी आगे बढ़कर 6 और भत्ते काट दिए।

आज कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बगैर इस संक्रमण काल में लगातार जन सेवा में लगा हुआ है, जनता प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की तारीफ कर रही है। पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकारी कर्मचारियों की साख फिर से एक बार जनता के दिलों में कायम हुई है, विश्वास बढ़ है।

लेकिन ऐसे समय कर्मचारियों को पुरस्कृत करने के स्थान पर उन्हें दंडित करने जैसा कार्य समझ से परे है। कर्मचारी खुद ही इस मामले में आगे आकर प्रधानमंत्री केयर और मुख्यमंत्री आपदा कोष में लगातार सहयोग कर रहा है।

बहुत से सरकारी कर्मचारी अपने वेतन से अंशदान निकालकर गरीबों मजदूरों और जिन लोगों को खाना नहीं मिल पा रहा है उनके लिए खाने का प्रबंध कर रहे हैं।

अनेक सरकारी कर्मचारी गरीबों के घर घर जाकर हर तरह से मदद कर रहे हैं। जनता आज देश के सरकारी कर्मचारियों को अपना मसीहा मान रही है चाहे वह चिकित्सक हो फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, नर्सेज सहित सभी चिकित्सा कर्मियों को जनता दूसरे भगवान का दर्जा दे रही है।

वास्तव में सभी सरकारी कर्मचारी देवदूत के रूप में जनता की इस दुख की घड़ी में अपने परिवार और अपनी जान की परवाह किए बगैर पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं।

प्रदेश की पुलिस दिन-रात जनता की सेवा में लगी है, ऐसे समय में इन कर्मचारियों को कुछ ना कुछ पुरस्कार दिया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार द्वारा पुरस्कार तो छोड़िए उनको पूर्व से मिल रहे भत्ते समाप्त कर दिया। 

महंगाई भत्ते की तीन क़िस्तों को रोकने की भी घोषणा कर दी जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कर्मचारियों के लिए सरकार के पास कोई कल्याणकारी नीति नहीं है और ना ही कर्मचारियों को सरकार अपना अंग मानती है।

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