नई दिल्ली। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना समेत विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामें और शोरगुल के बीच राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। विपक्षी सदस्यों के हंगामें के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू सदन में अपना परंपरागत समापन वक्तव्य नहीं पढ़ सके और खिन्न मन से उन्हाेंने शून्यकाल के दौरान ही बजट सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। बजट सत्र के पहले चरण की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ 31 जनवरी से हुयी थी।
दूसरा चरण 14 मार्च से शुरू हुआ था और इसे निर्धारित आठ अप्रैल से एक दिन पहले आज समाप्त कर दिया गया। सदन में विधायी दस्तावेज रखे जाने के बाद नायडू ने कहा कि आज सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जा रही है और आज के लिए निर्धारित प्रश्नों के उत्तर कार्यवाही का हिस्सा माने जायेंगे।
इसके बाद उन्होंने जैसे ही शून्यकाल की कार्यवाही शुरू की तो शिवसेना के संजय राउत और अनिल देसाई ने आईएनएस विक्रांत में घोटाले के मुद्दे को लेकर इस पर चर्चा कराने की मांग की। इसके साथ ही कांग्रेस और शिव सेना के सदस्य अपनी जगहों पर खड़े होकर शोर गुल और नारेबाजी करने लगे। बाद में ये आसन के निकट आकर शोरगुल करने लगे। सभापति ने कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और एक अन्य सदस्य ने नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया था जिस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गयी है।
सदस्यों द्वारा इसका विरोध किये जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें कार्यवाही स्थगित करनी है लेकिन इससे पहले वह समापन वक्तव्य देना चाहते हैं लेकिन यदि सदस्य इस तरह का व्यवहार करेंगे तो यह कैसे संभव है। उन्होंने सदस्यों से अपनी जगहों पर लौटने की बार बार अपील की लेकिन विपक्षी सदस्यों ने उनकी बात नहीं मानी।
नायडू ने कहा कि इसका मतलब है कि विपक्षी सदस्य उन्हें समापन वक्तव्य देने का अवसर नहीं देना चाह रहे। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। सचिवालय के आंकड़ों में कहा गया है कि बजट सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता 99.80 प्रतिशत रही। मात्र 10 मिनट के अंतराल से सदन शत प्रतिशत उत्पादकता हासिल करने से चूक गया। सदन में 37.50 प्रतिशत समय चर्चा पर और 23 प्रतिशत समय सरकारी विधेयकों पर खर्च हुआ।
इस बार चार मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा हुई जो पिछले 12 वर्ष में सर्वश्रेष्ठ है। इससे पहले वर्ष 2010 में सदन में पांच मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा की गयी थी। सत्र के दौरान सदन ने 11 विधेयक पारित किये। राज्यसभा की निर्धारित 29 बैठकों में से 27 बैठकें संपन्न हुई। इनमें 10 बैठकेें पहले चरण में और 17 बैठकें दूसरे चरण में आयोजित की गयी। सत्र की पहली 12 बैठकें बिना किसी स्थगन के संपन्न हुई। सदस्यों ने 11 दिन निर्धारित समय से अधिक समय तक बैठकें की।
कुल मिलाकर 21 बैठकें बिना किसी स्थगन के संपन्न हुई। सदन ने निर्धारित 127 घंटे 54 मिनट में से 127 घंटे 44 मिनट तक काम किया। सदस्यों के हंगामें और शोरगुल तथा स्थगन के कारण नौ घंटे 26 मिनट बरबाद हुए जबकि सदस्यों ने नौ घंटे 16 मिनट तक अतिरिक्त समय में बैठकें की। सदन में चार मंत्रालयों रेल, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, श्रम एवं रोजगार तथा जनजातीय मामलों पर 22 घंटे 34 मिनट तक चर्चा की गयी।
कुल निर्धारित समय में से 37 प्रतिशत समय राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव, आम बजट 2022 -23 और मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा में व्यतीत हुआ। सरकारी विधेयकों पर 23 प्रतिशत और जन महत्व के मुद्दें उठाने के लिए शून्यकाल और विशेष उल्लेख पर 10 प्रतिशत समय व्यय हुआ । राज्यसभा में सत्र के दौरान 11 विधेयक पारित किये गये। सत्र में 135 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गये। सदस्यों ने शून्यकाल में 248 और विशेष उल्लेख में 168 मामले उठायें।