लखनऊ। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 32022 अनुदेशक और 4000 उर्दू शिक्षक तीन साल से अधर में हैं। अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने खाली पदों पर भर्ती का आदेश दिया था। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने जून 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी।
32022 अंशकालिक अनुदेशक: परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती के लिए सपा शासनकाल में 19 सितंबर 2016 को प्रक्रिया शुरू हुई थी। 11 महीने के लिए सात हजार रुपये मानदेय पर प्रस्तावित भर्ती के लिए 1.5 लाख से अधिक बीपीएड, सीपीएड और डीपीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। 4 से 9 अप्रैल 2017 तक काउंसिलिंग होनी थी लेकिन 23 मार्च 2017 को ही भर्ती पर रोक लग गई। इसकी सुनवाई 17 मार्च को होनी है।
4000 उर्दू शिक्षक: परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में उर्दू विषय के 4000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए भी सपा शासनकाल के अंतिम दौर दिसंबर 2016 में प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन यह भी 23 मार्च 2017 को रोक दी गई थी। इसमें उच्च न्यायालय ने भर्ती का आदेश दिया लेकिन बाद में यह मामला भी सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया। इससे पूर्व 17 अगस्त 2013 में शुरू हुई उर्दू विषय के 4,280 सहायक अध्यापक भर्ती में 2341 पद भरे गए थे।
धीरेन्द्र यादव (प्रदेश अध्यक्ष बीपीएड संघ) ने कहा- डीपीएड, बीपीएड और सीपीएड डिग्रीधारी बेरोजगार सालों से नौकरी के लिए भटक रहे हैं। अधिकांश अभ्यर्थी ओवरएज हो रहे हैं। नौकरी के सारे विकल्प खत्म होते जा रहे हैं। क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा। अब तक उच्चतम न्यायालय से ही उम्मीद है।