अशाेेेक यादव, लखनऊ। यूपी में कुछ निजी अस्पताल कोरोना के इलाज का मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। इन पर नजर रखने और कार्रवाई के लिए कमेटी का गठन हो गया है। साथ ही डीएम ने सभी निजी अस्पतालों के लिए अधिकतम शुल्क भी तय कर दिए हैं।
ये तय शुल्क शासन द्वारा पहले से निर्धारित की गई दरों के मुताबिक ही रखे गए हैं। अब इन्हें कड़ाई से लागू कराने के लिये प्रशासन ने तैयारी कर ली है।
स्मार्ट सिटी सभागार में डीएम अभिषेक प्रकाश ने इस संबंध में एक बैठक की। बताया कि उन्होंने कमिश्नर मुकेश मेश्राम के निर्देश पर एक कमेटी गठित की है। इलाज के नाम पर वसूली रोकने के लिए कोविड उपचार का अधिकतम शुल्क तय कर दिया गया है।
निर्देश जिन अस्पतालों पर लागू होगा उनमें निजी स्वामित्व वाले सभी कोविड चिकित्सालय, महामारी अधिनियम के तहत स्थापित इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर व अस्पताल शामिल हैं। मरीजों का बिल तीन प्रतियों में निकाला जाएगा। एक प्रति सीएमओ को भेजी जाएगी।
यदि किसी भी कारण से उपचार-औषधि बिल में सम्मलित हो तो सका कारण लिखा जाएगा। निर्धारित दरों से अधिक लिया तो कानूनी कार्रवाई होगी।
प्रशासन की ओर से तय दरें-
- बीमारी बढ़ने पर आईसोलेशन बेड जिसमें ऑक्सीजन व अन्य इंतजाम शामिल हैं- 10 हजार रुपए, इसमें पीपीई किट कीमत शामिल है
- गंभीर मरीज के लिए आईसीयू बिना वेंटिलेटर- 15 हजार रुपए जिसमें पीपीई किट की कीमत शामिल है
- बेहद गंभीर मरीज के लिए आईसीयू वेंटिलेटर केयर, एन्वेसिव-नॉन एन्वेसिव- 18 हजार, इसमें पीपीई किट कीमत शामिल है
यह भी दिए निर्देश
– कांटेक्ट ट्रेसिंग यानी मरीज के सम्पर्क में आने वाले लोगों का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज हो
– निजी लैब को निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जांच के लिए एमओयू करना होगा
– निजी अस्पतालों को हर चार घंटे में खाली बेडों की सूचना कंट्रोल रूम को देनी होगी