
राम जन्मभूमि के लिए आमरण अनशन पर बैठने के बाद चर्चा में आए तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। इसकी एक-एक कॉपी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और डीएम अयोध्या को भी भेजी है।
सात सूत्रीय भेजे मांग पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। महंत परमहंस दास ने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए उन्होंने सात सूत्रीय मांग पत्र राष्ट्रपति को भेजा है।
राष्ट्रपति को भेजे पत्र में महंत परमहंस दास ने कहा कि मुगल काल में भारत की जो स्थिति थी उसकी पुनरावृत्ति न की जाए। पश्चिम बंगाल में आज भी गायों की खुलेआम हत्या की जा रही है, यह हमारी संस्कृति के विपरीत है। भारत में गायों की हत्या को रोका जाए। भारतीय संस्कृति गौ, गंगा और भगवा से है।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए यह तभी संभव हैजब भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि देश विरोधी सोच रखने वाले लोग एक षड़यंत्र कर देश का विभाजन कराना चाहते हैं, इसलिए मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति महोदय उनकी मांगों को भारत में लागू कराएं। यदि ऐसा न हो पाए तो उन्हें इच्छामुत्यु की अनुमति दें।
ये हैं सात मांगें
- देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए।
- देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए। भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए।
- बेटियों की निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
- गोवंश को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए और ग्राम स्तर पर गौ सेवा ग्राम प्रधान के माध्यम से कराई जाए।
- राम चरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर उसे शिक्षा के पाठक्रमों में शामिल किया जाए।
- योग्यता के आधार पर बेरोजगारों को नौकरी देकर देश को रोबरोजगारी से मुक्त कराया जाए।
- महंत परमहंस ने अपने मांगपत्र में यह भी कहा है कि यदि सरकार मेरी मांगों को पूरा नहीं करती है तो राष्ट्रपति मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।