प्रदेश सरकार कृषि निवेश मसलन खाद-बीज के कारोबार में इंस्पेक्टर राज खत्म करने के लिए एक नई पहल करने जा रही है। खाद-बीज का व्यापार करने वाले व्यापारियों को बार-बार लाइसेंस नवीनीकरण की बाध्यता से मुक्ति मिलने जा रही है।
इसके तहत शीघ्र ही ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसमें एक बार लाइसेन्स बनने के बाद 10, 15 या 20 सालों पर ही उसका नवीनीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही लाइसेन्स की सारी प्रक्रिया भी ऑनलाइन करने पर विचार कर रही है।
खाद, बीज एवं कीटनाशक समेत अन्य कृषि निवेशों के कारोबार में इंस्पेक्टर राज की शिकायतें लम्बे अरसे से होती रही है। इसी को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार ने 2015 में कीटनाशकों के व्यापार के लिए एक बार लाइसेन्स जारी होने के बाद उसके नवीनीकरण की बाध्यता समाप्त कर दी थी।
हालांकि कारोबारी भी कोई गड़बड़ी ना कर सकें इसके लिए दो सालों में एक बार लाइसेन्स व लाइसेन्सी प्रतिष्ठान के निरीक्षण के नियम जरूर बनाए। यह व्यवस्था कीटनाशक के खुदरा एवं थोक व्यापार के लिए बनाई गई जबकि पेस्ट कन्ट्रोल आपरेटरों के लिए इसमें थोड़ा बदलाव किया गया। जिसमें पेस्ट कन्ट्रोल ऑपरेटरों के लाइसेन्स के हर 5 सालों पर नवीनीकरण कराने का प्रावधान किया गया।
सूत्र बताते हैं कि ऐसी ही व्यवस्था खाद-बीज के कारोबारों में भी लागू करने पर सरकार गम्भीरता से विचार कर रही है। वर्तमान में खाद एवं बीज के लाइसेन्स के नवीनीकरण की व्यवस्था हर 5 साल पर कराने की है। नई प्रस्तावित व्यवस्था में कीटनाशकों की भांति या तो नवीनीकरण की बाध्यता समाप्त की जाएगी या फिर 10, 15 या 20 सालों पर नवीनीकरण कराने का प्रावधान किया जाएगा।
लाइसेंस की हर प्रक्रिया भी होगी ऑन लाइन
खाद-बीज हो या कीटनाशक इनके लाइसेंस की हर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इन्हें ऑनलाइन किए जाने पर भी गम्भीरता से विचार किया जा रहा है। जानकारों का तो कहना है कि आवेदन से लेकर आवेदक के बारे में विभागीय रिपोर्ट और लाइसेन्स जारी किए जाने की बाकी प्रक्रिया भी पूरी तरह से पारदर्शी रखने के लिए ऑनलाइन किया जाएगा।