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यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप की सुरक्षा पर पुनर्विचार करने को मजबूर अमेरिका

वाशिंगटन। यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध और यूरोप में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था को खत्म करने के उनके प्रयास से महाद्वीप की रक्षा के बारे में अमेरिकी सोच में ऐतिहासिक बदलाव आ सकता है। यह इस पर निर्भर करेगा कि पुतिन कितनी दूर जाते हैं, इसका मतलब यूरोप में अमेरिकी सैन्य शक्ति का ऐसा जमावड़ा हो सकता है जैसा शीत युद्ध के बाद से नहीं देखा गया।

यूरोप में व्यापक अमेरिकी सैन्य मौजूदगी की संभावना सिर्फ दो साल पहले की तुलना में ज्यादा उल्लेखनीय बदलाव है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 में अपने उस तर्क के तहत हजारों अमेरिकी सैनिकों को जर्मनी से बुलाने का आदेश दिया कि यूरोपीय अपात्र सहयोगी हैं।

हालांकि पद ग्रहण करने के कुछ ही दिनों बाद, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वापसी की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उस पर रोक लगा दी और जब उनके प्रशासन ने चीन को अमेरिकी सुरक्षा के लिए मुख्य दीर्घकालिक खतरे के रूप में पहचानते हुए नाटो के महत्व पर जोर दिया। इसके बाद यूक्रेन पर रूस का हमला हो गया। रूस में अमेरिकी के पूर्व राजदूत और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्व उप महासचिव रहे एलेग्जेंडर वेर्षबो ने कहा, “हम रूस के साथ निरंतर टकराव के एक नए युग में हैं।”

उनका तर्क है कि और अधिक खतरनाक रूस से निपटने के लिए अमेरिका को नाटो सहयोगियों के सहयोग से ज्यादा मजबूत रुख स्थापित करने की आवश्यकता होगी। विशेष रूप से पूर्वी यूरोप में यह जरूरी है जहां रूस की निकटता उन तीन बाल्टिक राष्ट्रों के लिए एक समस्या बन गई है जो पूर्व सोवियत राष्ट्र हैं। ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में दूसरे दौर के यूक्रेन परामर्श के लिये मंगलवार को रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन यूरोप जा रहे हैं। वह पूर्वी यूरोप के दो नाटो राष्ट्रों – स्लोवाकिया और बुल्गारिया- का दौरा करेंगे।

स्लोवाकिया की सीमा यूक्रेन से लगती है। पिछले महीने नाटो की एक बैठक के बाद ऑस्टिन ने पोलैंड और लिथुआनिया का दौरा किया था। महज पिछले दो महीनों में, यूरोप में अमेरिका की उपस्थिति लगभग 80,000 सैनिकों से बढ़कर करीब 100,000 हो गई है, जो कि लगभग उतनी ही है जितनी 1997 में थी जब अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने गठबंधन का विस्तार शुरू किया जिसे पुतिन ने रूस के लिए खतरा बताते हुए कहा था कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।

तुलनात्मक रूप से, 1991 में जिस साल सोवियत संघ का विघटन हुआ तब पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय) के रिकॉर्ड के अनुसार, अमेरिका के यूरोप में 305,000 सैनिक थे, जिसमें अकेले जर्मनी में 224,000 सैनिक मौजूद थे। इसके बाद यह संख्या लगातार गिरती गई, 2005 में 101,000 तक पहुंच गई और हाल ही में 2020 तक यह और घटकर लगभग 64,000 तक पहुंच गई। इस साल इलाके में हुई अमेरिकी सैनिकों की बढ़ोतरी को अस्थायी बताया गया है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि वे कितने समय तक वहां रहेंगे।

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