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मोदी सरकार के खोखले दावो के कारण कोरोना महामारी में आये क्रूर परिणाम : प्रमोद तिवारी

राहुल यादव, लखनऊ। केन्द्रीय संसदीय समिति की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि वैष्विक महामारी कोविड-19 की ‘‘दूसरी लहर’’ में ‘‘बड़े पैमाने’’ पर देष में मौते हुई है, और यह भी कहा है कि यदि ‘‘मोदी सरकार’’ समय रहते आवष्यक कदम उठाती तो लोगों की जाने बचाई जा सकती थी, लेकिन केन्द्र सरकार हालात की गम्भीरता को नहीं समझ सकी, जिसका परिणाम यह हुआ कि देष में लाखों लोगों की जाने असमय कोरोना महामारी में अस्पतालों में आॅक्सीजन की कमी, बेड की कमी, आवष्यकतानुसार दवायें उपलब्ध न होने, आवष्यक स्वास्थ्य सेवाओं के ध्वस्त होने, आॅक्सीजन एवं दवाओं की कालाबाजारी जैसे हालात की वजह से लोगों की जाने चली गयी, और सरकार दावा करती रही की कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय न तो दवाओं की कमी थी, न आॅक्सीजन सिलेण्डर की कमी रही और न ही अन्य आवष्यक सेवाओं की कमी हुई । ‘‘मोदी सरकार’’ के इस दावे की असलियत आज जनता के सामने आ गयी जब ‘‘केन्द्रीय संसदीय समिति’’ की रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर की गम्भीरता को केन्द्र सरकार नहीं समझ सकी ।प्रमोद तिवारी, सांसद, राज्य सभा, एवं सदस्य, केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने कहा है कि ‘‘केन्द्रीय संसदीय समिति’’ की रिपोर्ट मेरे दावे की पुष्टि करती है कि कोराना महामारी के दौरान बड़े स्तर पर देष में लोगों की जाने गयी है । तिवारी ने कहा है कि ‘‘केन्द्रीय संसदीय समिति’’ में हर दल के प्रतिनिधि होते हैं, और संख्या बल के आधार पर भारतीय जनतापार्टी का बहुमत है उसके बावजूद भी केन्द्रीय संसदीय समिति की रिपोर्ट से मेरी आषंका और आरोप सही साबित हुये । कि कोविड-19 की ‘‘दूसरी लहर’’ में लाखों लोगों की मौतें हुई। इस रिपोर्ट से मेरी यह भी आषंका सच हुई कि यदि समय रहते ‘‘मोदी सरकार’’ प्रभावी कदम उठाती तो ढेर सारी जाने बचाई जा सकती थी ।‘‘केन्द्रीय संसदीय समिति’’ का दर्जा ‘‘संसद सत्र’’ की अनुपस्थिति में मान्य परम्पराओं और नियमों के अनुसार ‘‘संसद सत्र’’ के बराबर ही होती है, उसके द्वारा दी गयी यह रिपोर्ट ‘‘मोदी सरकार’’ के लिये इस शताब्दी की सबसे भयंकर महामारी के दौरान लोगों की हुई मौतों पर उसके झंूॅठ और असफलता का कच्च- चिट््ठा बयान करती है ।रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार कोरोना महामारी की संक्रामकता और उसके घातक असर को पहचानने में असफल रही, यदि महामारी को रोकने के लिये रणनीतिक कदम समय रहते उठाये गये होते तो परिणाम इतने भयानक नहीं होते और लोगों की जाने बचाई जा सकती थी । केन्द्रीय संसदीय समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि इस दौरान हुई मौतों को सरकार द्वारा नकारना दुर्भाग्यपूर्ण है । तिवारी ने कहा है कि केन्द्रीय ससंदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने केन्द्र सरकार को मेडिकल आॅक्सीजन के सिलेण्डरों और अस्पताल में आपूर्ति की कमी के लिये आगाह किया था किन्तु सरकार ने आॅक्सीजन की आपूर्ति के बारे में देष को आत्मनिर्भर बताया , और इसी खोखले दावे के कारण कोरोना महामारी की ‘‘दूसरी लहर’’ के क्रूर परिणाम सामने आये।केन्द्रीय संसदीय समिति ने निर्देष देते हुये कहा है कि (1) आॅक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आॅडिट कराया जाय। (2) इन सभी मामलों का राज्यों के साथ मिलकर मजबूत दस्तावेजीकरण कराया जाय । (3) इस प्रकरण की सघनता पूर्वक जांॅच करायी जाय, जिससे जिनकी मौत हुई है उनके परिजनों को मुआजा मिल सके । (4) सरकारी एजेसियों की जवाबदेही भी तय हो सके । तिवारी ने कहा है कि मोदी का कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पंूूॅजीपतियों को लाभ पहंुॅचाने के लिये वैक्सीन और आवष्यक दवाओं का दूसरे देषों को ‘‘निर्यात’’ करना भयंकर भूल थी, और राष्ट्रीय अपराध से कम नहीं था । सीरम इंस्टीट््यूट आफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अदार पूनावाला का बयान था कि हम जो वैक्सीन बनायेंगे उसका आधा हिस्सा ही भारत देष के लिये होगा ।यही नहीं जरूरी दवाओं को भी माननीय मोदी जी ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि बनाने के लिये दूसरे देषों को भेजी । याद होगा कि बांगला देष मे चुनाव के दौरान वे ‘‘सांता क्लाज’’ की तरह दवायें दे आये। जबकि उस समय भारत देष में दवाओं की और वैक्सीन की बहुत जरूरत थी, लोगों को अस्पतालों में दवायें नहीं मिल रही थी, आॅक्सीजन सिलेण्डर की कमी से लोगों की जाने जा रही थी। तिवारी ने कहा है कि केन्द्रीय वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण का बयान कि भारत के लोग कम निवेष कर रहे हैं, उनका यह बयान मोदी सरकार की आर्थिक मोर्चे पर उसकी विष्वसनीयता को चुनौती देने वाला है और आर्थिक मामले की विष्वसनीयात का खण्डन करती है। वित्त मन्त्री स्वयं कह रही है कि विदेषी निवेषक तो बातचीत कर रहे हैं किन्तु स्वदेषी लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं, वहीं दूसरा आंकड़ा कहता है कि पंूॅजी निवेष में भारी कमी आई है, जो बेरोजगारी और महंगाई को बढ़ायेगा तथा जी.डी.पी. और अधिक गिरेगी ।

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