सूर्योदय भारत समाचार सेवा, मुम्बई। चर्चित अभिनेता राव, ज़ी थिएटर के नए रोमांचक नाटक ‘गुनहगार’ में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं बॉलीवुड के अनुभवी अभिनेता गजराज राव ने सिनेमा और रंगमंच से लेकर ओटीटी तक बहुत ही विविध और रोचक काम किया है और अपनी कला के बल बूते पर कई पुरस्कार भी जीते हैं। फिर भी एक अभिनेता के रूप में, वे हमेशा नई चुनौतियों की तलाश में रहते हैं।शायद इसीलिए जब ज़ी थिएटर के नए टेलीप्ले ‘गुनहगार’ में उन्हें एक बहुत ही असामान्य भूमिका निभाने का मौका मिला तो वो ‘ना’ नहीं बोल पाए। तीन पात्रों के इर्द-गिर्द बुनी गई इस मनोवैज्ञानिक रोमांचक कहानी को पढ़ते ही वो स्तब्ध रह गए और उनका कहना है,”मुझे उन कहानियों में काम करना अच्छा लगता है जहाँ पात्र कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो अकल्पनीय है. मुझे इस कहानी का आधार भी बहुत आकर्षक लगा क्योंकि ये सस्पेंस से भरपूर है और इसका अंत बिल्कुल अविश्वसनीय है.” ‘गुनहगार’ में, गजराज एक ऐसा किरदार निभा रहे हैं जिसका अतीत रहस्यमय है और जो अपने दिल में एक चौंकाने वाले रहस्य को छुपाए हुए है जिसे वो अंत तक साँझा नहीं करता है। एक टेलीप्ले में काम करना भी राव के लिए एक नया अनुभव था और वे कहते हैं, “थिएटर और सिनेमा शायद दो बहुत अलग माध्यम हैं लेकिन जब आप उन्हें मिलाते हैं, तो आपको एक बहुत ही अनोखा प्रारूप मिलता है। निर्देशक आकर्ष खुराना के साथ काम करना भी मेरे लिए बहुत दिलचस्प था क्योंकि वह फिल्मों और थिएटर की बारीकियों को खूब समझते हैं. मुझे इस बात की भी खुशी है कि ज़ी थिएटर ‘गुनहगार’ जैसी कहानियों का निर्माण कर रहा है जिन्हे अक्सर दर्शक आसानी से नहीं देख पाते ।”राव के अनुसार ‘गुनहगार’ का कथानक शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को बांधे रखेगा। वे कहते हैं, “यह कहानी आपको तकदीर , मानव स्वभाव, क्रोध, अपराध, दंड और न्याय के विभिन्न अर्थों के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है। मेरा चरित्र अपने भीतर एक अस्थिरता संजोये हुए है और वो कहानी को बहुत ही अजीबोगरीब तरीके से आगे बढ़ाता है। असल में वो गुनहगार है या वक़्त का शिकार, यह दर्शकों को अंत में पता चलता है।” आकर्ष खुराना द्वारा निर्देशित, ‘गुनहगार’ में श्वेता बसु प्रसाद और सुमीत व्यास भी हैं और इसे टाटा प्ले थिएटर पर रात 8 बजे और डिश टीवी और डी 2 एच रंगमंच और एयरटेल थिएटर पर रात 8 बजे प्रसारित किया जाएगा।
“मुझे उन कहानियों में काम करना अच्छा लगता है जहाँ पात्र कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो अकल्पनीय है” : गजराज राव
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