सूर्योदय भारत समाचार सेवा, कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुजरात में विवादित नागरिकता संशोधित अधिनियम 2019 लागू करने के लिए बीजेपी पर निशाना साधा है. मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमला बोलते हुए ममता ने दावा किया कि सरकार ‘इलेक्शन मोड’ में है, ऐसे में प्रभावितों को पर्याप्त मदद नहीं मिल पा रही है. चेन्नई के लिए रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बात करते हुए ममता ने कहा, “हम इसके खिलाफ हैं और इसका विरोध करते हैं. वे गुजरात चुनाव के कारण यह ‘खेल’ खेल रहे हैं लेकिन मैंने जो पहले कहा था, वही बात फिर कहना चाहूंगी चुनाव महत्वपूर्ण नहीं हैं, राजनीति भी इतनी महत्वपूर्ण नहीं है. लोगों का जीवन और उनके अधिकार ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता, बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को दावा किया था कि देश में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सीएए के खिलाफ मुखर रुख अख्तियार कर रखा है. पार्टी ने कहा है कि वह इसे बंगाल में लागू नहीं होने देगी. दूसरी ओर बीजेपी ने राज्य में सीएए लागू करने का वादा किया है. ऐसे समय जब राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत में पंचायत चुनाव होने हैं, यह एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर सामने आ सकता है. नंदीग्राम से विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “बंगाल को सीएए लागू करने की प्रक्रिया से नहीं छोड़ा जा सकता. मटुआ समुदाय के सदस्यों और नामशूद्रों जैसी अन्य पिछड़ी जातियों को जल्द ही कुछ लाभ मिलेगा. हमारे राज्य में भी CAA लागू किया जाएगा.” केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री, शांतनु ठाकुर ने कहा, “मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि यदि CAA लागू होता है, तो यह मटुआ समुदाय सहित पिछड़ी जातियों के सदस्यों के लिए बहुत मददगार होगा.” बता दें, बनगांव लोकसभा सीट से सांसद शांतनु ठाकुर मटुआ समुदाय से हैं. चेन्नई पहुंचने के बाद ममता ने तमिलनाडु के सीएम के साथ अपनी मुलाकात के बारे में कहा कि 2014 के आम चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं रहेगा. उनकी यह टिप्पणी केंद्र की ओर से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले और वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता कानून, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता देने का फैसला किए जाने के बाद आई है.