सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी तथा निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना विकास विभाग द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीति का अनुसरण करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में सहकारी गन्ना विकास समिति लि. खत्तीली – मुजफ्फरनगर की प्रबन्ध कमेटी के कतिपय संचालक सदस्यों एवं उनके परिवारीजन द्वारा की गई अनियमित गन्ना आपूर्ति का प्रकरण सिद्ध पाये जाने पर उन्हें आगामी तीन वर्षो तक गन्ना समिति के चुनाव प्रतिबन्धित कर दिया गया है। इसके साथ ही निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ना आपूर्ति पर रू.50 प्रति कुन्टल की दर से पेनाल्टी भी संबंधित गन्ना समितियों में जमा कराने के निर्देश दिये गये हैं।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए निबन्धक द्वारा बताया गया कि सहकारी गन्ना विकास समिति लि. खतौली के कतिपय संचालक सदस्यों व उनके परिवार के सदस्यों के अनियमित गन्ना आपूर्ति के इस प्रकरण में जिला गन्ना अधिकारी, शामली तथा जिला गन्ना अधिकारी, मुजफ्फरनगर के स्तर से विस्तृत जांच कराई गयी। जांच में प्रथम दृष्टया इस बात की पुष्टि हुयी कि ओमवीर सिंह पुत्र तेज सिंह व उनके परिवारीजन प्रशान्त कुमार व विक्रान्त कुमार पुत्र सुखपाल सिंह तथा रामनिवास के पारिवारिक सदस्यों द्वारा पेराई सत्र 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से अधिक भूमि व गन्ना क्षेत्रफल के आधार पर अनियमित रूप से गन्ना आपूर्ति कर लाभ कमाया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि नियमानुसार निर्धारित सट्टे से अधिक गन्ना आपूर्ति पर रू.50 प्रति कुन्टल की दर से पेनाल्टी संबंधित गन्ना समिति में जमा कराने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं, इसके अतिरिक्त अनियमित गन्ना आपूर्ति में उपर्युक्त सभी दोषियों को उ.प्र सहकारी समिति अधिनियम, 1966 के संगत प्राविधानों के अन्तर्गत 03 वर्ष की अवधि हेतु निर्वाचन हेतु अनहं करने का निर्णय भी लिया गया है।
निबन्धक द्वारा यह भी बताया गया कि भविष्य में किसी भी सदस्य द्वारा यदि अनियमित गन्ना आपूर्ति किया जाना प्रकाश में आता है तो उप्र सहकारी समिति अधिनियम, 1965 की धारा 38 के प्रावधानों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही करते हुए संचालक सदस्य के पद से अनहं करने के साथ-साथ गन्ना समिति की सदस्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जायेगी।
निबन्धक द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीति का अनुश्रवण किया जा रहा है यदि किसी भी समिति अध्यक्ष, संचालक सदस्य प्रतिनिधि, साधारण सदस्य तथा अधिकारी व कर्मचारी की संलिप्तता भ्रष्टाचार एवं कदाचरण आदि में पाई जाएगी तो उसके विरूद्ध सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।