अशाेेेक यादव, लखनऊ। एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है तो वहीँ भारत के एक राज्य में रहस्यमयी सुरंग बनाई जा रही है। यह सुरंग नीलगिरी की पहाड़ियों को खोदकर तैयार की जा रही है। डेढ़ किलोमीटर लंबी इस सुरंग में क्या होगा ये वहां के लोगों के लिए बड़ा सवाल है।
इन लोगों को डर है कि कहीं ये सुरंग उनके लिए जानलेवा न बन जाएं। इसके लिए उन्होंने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। इतना है नहीं वहां के लोग सरकार से भी इस बारे में शिकायत कर चुके हैं।
बताया जा रहा है कि यह सुरंग वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए तैयार की जा रही है।
ये सुरंग तमिलनाडु के थेनी जिले में है।
ये ठीक उसी तरह की सुरंग हो सकती है जैसी स्विट्जरलैंड की साइंटिफिक सुरंग है।
उस सुरंग में साइंटिस्ट गॉड ऑफ पार्टिकल पर खोज की जा रही हैं।
भारत में बनने वाली सुरंग में दुनिया की सबसे बड़ी और शक्तिशाली चुंबक लगाई जाएगी।
इस चुंबक का वजन 12.500 टन है।
इस सुरंग के बनने से इलाके के लोग दहशत में हैं उन्हें लगता है कि सब बर्बाद होने वाला है।
क्योंकि यह साइंस से जुड़ा है तो जाहिर हैं उन्हें किसी खतरे का अंदेशा है।
सरकार की ओर से घोषित पैकेज में सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि, जो भारत की जीडीपी का सिर्फ 0.91 फीसदी: पी चिदंबरम
यही कारण है कि यहां के पर्यावरणवादी और इलाके के लोग इसे किलर पार्टिकल कहते हैं।
ये इस प्रोजेक्ट के नाम न्यूट्रीनो पार्टिकल की तर्ज पर रखा गया नाम हैं।
बताया जाता है कि न्यूट्रीनो उन मूल कणों में से एक है जिसके द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना हुई है।
ये पूरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं।
ये बेहद सूक्ष्म होते हैं इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता।
इन्हें तभी देखा जा सकता है जब कोई नाभिकीय प्रतिक्रिया हो।
ये न्यूट्रीनो सूरज, तारों और ब्रह्मांड की सक्रिय सौर गंगाओं से निकल कर धरती पर पहुंचते रहते हैं।
इस इलाके के भविष्य को लेकर केरल औऱ तमिलनाडु के पर्यावरणवादियों ने आरोप लगाये हैं कि यहां जो न्यूट्रीनो तलाश किए जाने हैं उनमें विदेशों से मदद ली जाएगी।
साथ ही हो सकता है न्यूट्रीनो का ज्यादा उपयोग हथियार बनाने के लिए भी किया जाए।
इसलिए लोग नहीं चाहते कि इस इलाके में ऐसा कुछ भी शुरू किया जाए जिससे लोगों को भविष्य में समस्या हो।