नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने ‘संघ एवं राज्य क्षेत्र’ से जुड़ी टिप्पणियों’ को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ बृहस्पतिवार को लोकसभा सचिवालय के समक्ष विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। दुबे ने नोटिस में कहा है कि राहुल ने बुधवार को निचले सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपनी टिप्पणियों के माध्यम से सांसदों एवं पूरे देश को ‘उकसाने’ का प्रयास किया।
दुबे ने कहा कि संसद में विभिन्न मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त करना और बोलना सभी सांसदों का संवैधानिक अधिकार है, साथ ही मर्यादा को बनाये रखना भी सर्वोपरि कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे संसद की गरिमा को ठेंस पहुंचती हो और जो ‘सदन की अवमानना’ की श्रेणी में आता हो। भाजपा सांसद ने कहा कि, मैंने ‘संघ एवं राज्य क्षेत्र’ से जुड़ी टिप्पणियों को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा सचिवालय के समक्ष विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
दुबे के नोटिस के अनुसार, अपने भाषण में उन्होंने (राहुल ने) कहा था कि भारत को राज्यों का संघ कहा जाता है और भारत को एक राष्ट्र नहीं कहा जाता। उन्होंने (राहुल ने) यह खोखली एवं बचकानी टिप्पणी की कि तमिलनाडु आदि के लोग वर्तमान सरकार/पार्टी को अपने ऊपर शासन की अनुमति कभी नहीं देंगे।
नोटिस में कहा गया है, राहुल गांधी की ये टिप्पणियां अन्य सांसदों और हमारे देश के नागरिकों को सीधे प्रसारण के जरिये यह ‘संकेत’ देने और ‘उकसाने’ का प्रयास है कि कोई भी राज्य यदि किसी एक विशेष राजनीतिक दल का शासन नहीं चाहे तो वह आसानी से हमारे ‘राष्ट्र’ से अलग हो सकता है।
दुबे ने राहुल गांधी को ‘लिखित भाषण पढ़ने वाला’ और ‘ड्रॉइंग रूम का नेता’ करार देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को भी नहीं पढ़ा है जिसमें कहा गया है कि हम भारत के लोग, भारत को एक सम्प्रभुता सम्पन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिये संकल्पित हैं। भाजपा नेता ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द के प्रयोग से पूरी तरह से स्पष्ट है कि भारत सभी अर्थों में एक ‘राष्ट्र’ है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ सांसद को यह साधारण सी बात समझ में नहीं आती।
भाजपा सांसद ने कहा कि, इसे ध्यान में रखते हुए मैं राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का नोटिस दे रहा हूं। मैं आग्रह करता हूं कि लोकसभा के कामकाज, प्रक्रिया और आचार संबंधी नियमों के नियम 222 के तहत नोटिस को स्वीकार किया जाए।” लोकसभा सचिवालय से जब सम्पर्क किया गया तो उसने दुबे का नोटिस प्राप्त होने की बात स्वीकार की लेकिन आगे की कार्रवाई पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।