अशाेक यादव, लखनऊ। यूपी सरकार ने गौतम बुद्ध नगर के भट्टा पारसौल में आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज दो मुकदमे वापस ले लिए हैं। ये मुकदमे सात मई 2011 को जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद दर्ज किए गए थे।
यमुना एक्सप्रेसवे के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण को खिलाफ किसानों और जिला प्रशासन के बीच तनाव पैदा हो गया था। इसी बीच सात मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प हुई। फायरिंग में दो किसान और दो पुलिसवाले मारे गए।
मिली जानकारी के अनुसार किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के योगी सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अनुमति दे दी है। जेवर से भाजपा के विधायक धीरेंद्र सिंह ने सरकार से मुकदमे वापस लेने की मांग की थी। इसके बाद यूपी सरकार ने राज्यपाल से मुकदमा वापस लिए जाने की सिफारिश की थी। वापस लिए गए मुकदमे गौतमबुद्धनगर की दनकौर कोतवाली में दर्ज थे। इनमें तीन दर्जन से अधिक किसानों को आरोपी बनाया गया था।
दनकौर कोतवाली- मुकदमा अपराध संख्या 96/2011, आईपीसी की धारा 147, 394, 308, 364, 325 और 323। आरोप-पीएसी की कंपनी पर हमला और उनके हथियारों की लूट। यह मुकदमा किसान नेता मनवीर तेवतिया सहित 30 अन्य किसानों के खिलाफ दर्ज था।
दूसरा मुकदमा अपराध संख्या 251/2011। 25 आर्म्स एक्ट के तहत। यह मुकदमा प्रेमवीर सहित अन्य किसानों के खिलाफ दर्ज था।
भट्टा पारसौल आंदोलन के बाद किसानों के खिलाफ लूट, डकैती, अपहरण, बलवा, आगजनी, अवैध हथियारों का उपयोग, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, हत्या का प्रयास और हत्या जैसे आरोपों में 20 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से 13 मुकदमे तत्कालीन सरकार ने वापस ले लिए थे। दो मुकदमे अब सरकार ने वापस ले लिए हैं।