अशाेेेक यादव, लखनऊ। कयासों को गलत साबित करते हुए राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया कि वह भारतीय जनता पार्टी में नहीं शामिल होने जा रहे हैं। पायलट ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ”मैं बीजेपी में नहीं शामिल हो रहा हूं।
जो बीजेपी में शामिल होने की बात कह कर रहे हैं वह असल में मुझे गांधी (गांधी परिवार) के नजरों में गिराना चाहते हैं।” उन्होंने इस बात को भी खारिज किया है कि बीजेपी के साथ मिलकर कांग्रेस के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं।
पायलट ने आज के लिए प्रस्तावित प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी टाल दिया है। कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक के बाद पायलट को मंगलवार को उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया।
इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया गया। पायलट के साथ ही उनके खेमे के दो मंत्रियों खाद्य आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह को भी कैबिनेट से हटा दिया।
पहले अशोक गहलोत के साथ मतभेद और फिर बागी रुख को लेकर पार्टी की ओर से कार्रवाई किए जाने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि पायलट अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
अब पायलट के ताजा रुख से एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुछ नए शर्तों पर पायलट को रोकने में कामयाब हुए हैं या फिर सचिन किसी नए कदम से सबको चौंकाएंगे? इन सवालों से धुंध आने वाले दिनों में ही साफ हो पाएगा।
पायलट खेमे पर कार्रवाई का ऐलान करते हुए मंगलवार को पार्टी प्रवक्ता और राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह बहुमत की सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के इस जाल में सचिन पायलट के साथ कुछ और कांग्रेस विधायक उलझ गए। हम लगातार खुले दिन से पायलट से आग्रह कर रहे थे कि आइए, हम मिल बैठकर अपनी समस्याएं सुलझाएं, पर वहीं नहीं आए।
पार्टी की कार्रवाई के बाद सचिन पायलट ने पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने ट्वीट कर कहा-सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं। खबरों के मुताबिक, पायलट बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर विस्तार से अपना पक्ष रख सकते हैं। पिछले दिनों सचिन पायलट के दफ्तर की ओर से दावा किया गया था कि उनके साथ 30 विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है।