ब्रेकिंग:

बिकरू कांड: एसआईटी की रिपोर्ट से 37 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, कार्रवाई के आदेश

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने राज्‍य के पुलिस महानिदेशक को विशेष जांच दल  की सिफारिश के आधार पर कानपुर के बिकरू कांड में 37 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। राज्य के गृह सचिव तरुण गाबा ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक कानपुर को 37 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। इसमें वृहद दंड (सेवा समाप्‍त) और लघु दंड (पदावनति) की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

बिकरू गांव के गैंगस्‍टर विकास दुबे से संबंधों के आरोप में आठ पुलिस कर्मियों की सेवा समाप्‍त, छह पुलिस कर्मियों की पदावनति और 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाही जल्‍द शुरू हो सकती है। प्रशासन ने जिन आठ पुलिस अधिकारियों की सेवा समाप्त करने के निर्देश दिये हैं, उनमें कानपुर के चौबेपुर थाने में तैनात पूर्व थानाध्‍यक्ष विनय तिवारी (अब जेल में निरूद्ध), पूर्व में चौबेपुर में तैनात पुलिस उपनिरीक्षक अजहर इशरत, कृष्‍ण कुमार शर्मा, कुंवर पाल सिंह, विश्‍वनाथ मिश्रा, लखनऊ के कृष्‍णानगर में तैनात उप निरीक्षक अवनीश कुमार सिंह, चौबेपुर में तैनात रहे आरक्षी अभिषेक कुमार और रिक्रूट आरक्षी राजीव कुमार का नाम शामिल है।

शासन से पदावनति के लिए जिन पुलिस कर्मियों का नाम प्रस्‍तावित किया गया है, उनमें बजरिया के निरीक्षक राममूर्ति यादव, लखनऊ कृष्‍णानगर के पूर्व निरीक्षक अंजनी कुमार पांडेय, उपनिरीक्षक चौबेपुर दीवान सिंह, मुख्‍य आरक्षी लायक सिंह, आरक्षी विकास कुमार और कुंवर पाल सिंह शामिल हैं। इसके अलावा शासन ने 23 पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाही के निर्देश दिये हैं।

सरकार ने कानपुर में पुलिस प्रमुख रह चुके आईपीएस अधिकारी अनंत देव को गैंगस्‍टर विकास दुबे से साठगांठ के आरोप में पिछले हफ्ते निलंबित कर दिया था। अपर मुख्‍य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्‍थी ने कहा कि अनंत देव को एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर निलंबित किया गया है। उल्लेखनीय है कि दो जुलाई की रात को जब बिकरू गांव में पुलिस विकास दुबे को पकड़ने पहुंची थी तो उसने अपने साथियों के साथ छतों से गोलियां बरसाकर आठ पुलिस‍कर्मियों की हत्या कर दी थी।

पुलिस के अनुसार इस घटना के बाद 10 जुलाई को उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद कानपुर वापस लाए जाने के दौरान जब विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, तो उसे मुठभेड़ में मार दिया गया था। उल्‍लेखनीय है कि सरकार ने पुलिस कर्मियों और गैंगस्‍टर के बीच साठ-गांठ की जांच के लिए तीन सदस्‍यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने बीते दिनों राज्‍य सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पुलिस कर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिसकर्मी विकास दुबे के लिए कथित रूप से मुखबिरी करते थे और पुलिस जब भी छापेमारी के लिए पहुंचती थी, तो उसे बता देते थे। एसआईटी ने विकास दुबे के मोबाइल फोन के पिछले एक वर्ष तक के रिकार्ड खंगाले, तो पता चला कि कई पुलिसकर्मी उसके नियमित संपर्क में थे।

सरकार ने 11 जुलाई को अपर मुख्‍य सचिव स्‍तर के अधिकारी संजय भूस रेड्डी के नेतृत्‍व में एसआईटी का गठन किया था जिसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरीराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ शामिल थे। एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक रिपोर्ट देनी थी लेकिन सरकार ने बाद में समय सीमा बढ़ा दी थी।

Loading...

Check Also

“राष्ट्रीय एकता दिवस” पर अधिकारी क्लब से आकाश गंगा तक एकता दौड़ आयोजित

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, वाराणसी : पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल पर मंगलवार 29 अक्टूबर,2023 …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com