ब्रसेल्स। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पश्चिमी सहयोगी देशों के नेताओं ने यूक्रेन में रूसी हमले को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए बृहस्पतिवार को तीन सम्मेलनों में से पहला सम्मेलन प्रारंभ किया। बाइडन और नाटो के अन्य नेताओं ने गठबंधन के मुख्यालय में मुलाकात की, जहां उन्होंने अपने सम्मेलन से पहले एक सामूहिक तस्वीर खिंचवाई।
उनका सम्मेलन कई घंटे चलने की उम्मीद है। गुरुवार को यूरोपीय कूटनीतिक राजधानी ब्रसेल्स नाटो की एक आपात बैठक की मेजबानी कर रहा है। साथ ही, यहां जी-7(विश्व के सात औद्योगीकृत देशों) और यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों का एक सम्मेलन भी हो रहा है। बाइडेन इन तीनों बैठकों में शरीक होंगे और उनकी योजना शाम में संवाददाता सम्मेलन करने की भी है।
बाइडेन, रूस पर नये प्रतिबंध लगाने के लिए सहयोगियों को मनाने की उम्मीदों के साथ बुधवार देर शाम यहां पहुंचे। उल्लेखनीय है कि पिछले चार हफ्तों में कई प्रतिबंधों, बहिष्कार और जुर्माने से रूस की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है। यूक्रेन पर रूस के हमला करने के बाद मास्को पर दबाव बनाने में पश्चिमी देश काफी हद तक एकजुट हुए हैं, हालांकि व्यापक स्तर पर यह भी स्वीकार किया जा रहा है कि इस एकजुटता की वक्त की कसौटी पर जांच होगी क्योंकि युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है।
नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने सुरक्षा गठबंधन के सम्मेलन की अध्यक्षता करने से पहले कहा, ‘‘हमें और अधिक प्रयास करने की जरूरत है और इसलिए हमें अधिक निवेश करना होगा। तत्काल ध्यान देने की जरूरत है और मैं उम्मीद करता हूं कि (सम्मेलन में शामिल हो रहे) नेता रक्षा में निवेश बढ़ाने पर सहमत होंगे। ’’ ब्रसेल्स जाते समय, एयरफोर्स वन पर बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम यह सुनना पसंद करेंगे कि पिछले महीने जो संकल्प और एकजुटता हमने देखी थी, वह लंबे समय तक टिकेगी।
ईयू अधिकारियों ने कहा कि वे अगले सर्दियों के मौसम के लिए प्राकृतिक गैस के भंडार को बढ़ाने की एक योजना में अमेरिका से मदद मांगेंगे। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कॉल्ज ने रूसी ऊर्जा आपूर्ति के बहिष्कार की अपील खारिज कर दी है। उन्होंने कहा कि इससे उनके देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होगा। बाइडन के शुक्रवार को पोलैंड की यात्रा करने का कार्यक्रम है, जहां राष्ट्रपति आंद्रेज डुडा के साथ वार्ता के केंद्र में रूसी आक्रमण और शरणार्थी संकट का विषय रहने की उम्मीद है।