अशाेक यादव, लखनऊ। जनपद में अवैध बालू खनन व ओवरलोडिंग पर प्रशासन लगाम लगा पाने में अक्षम साबित हो रहा है। हाल यह है कि बालू माफिया अवैध खनन करने के साथ ओवरलोड गाडियों का गैर जनपदो के लिए पास करा रहे हैं। विरोध करने पर ग्रामीणों तथा स्थानीय लोगों को माफियाओं द्वारा जानमाल की धमकी दी जाती है। वहीं प्रशासन द्वारा इन माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए कोई भी कवायद नहीं की जाती है। जिससे दबी जुबान में सभी की उगंलियां सरकारी अफसरों की ओर उठ रही है।
वर्तमान में जनपद में एक दर्जन से अधिक बालू की खदानों में संचालकों द्वारा बालू का खनन कराया जा रहा है। सीमाकिंत क्षेत्र को छोडकर बाहर के रकबे से बालू निकलवाई जा रही है। भारी भरकम मशीनों की सहायता से दिन-रात खनन कराकर नदियों को खोखला बनाया जा रहा है। कई स्थानों पर नदियों की स्थाई जलधारा को मोडकर उनकी सूरत बिगाडने का काम बालू माफियाओं द्वारा कराया जा रहा है।
इसके साथ ही सैकडों की संख्या में बिना रवन्ने के ओवरलोड वाहनों को गैर जनपदों के लिए भेजा जाता है। जिससे सरकारी राजस्व को भारी क्षति पहुंचती है। बालू माफिया सरकार को प्रतिदिन करोडों का नुकसान पहुंचाने के साथ साथ स्थानीय लोगों तथा ग्रामीणों को भी भयभीत करते रहते है। अवैध खनन तथा ओवरलोड गाडियों के संचालन का विरोध करने पर स्थानीय ग्रामीणों को माफियाओं के गुर्गों द्वारा असलहों की नोक पर शांत कराया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर खनिज विभाग व अन्य प्रशासनिक अमले द्वारा कोई कार्यवाही इन माफियाओं पर नहीं की जाती है। जिससे उनके हौसले बुलंद है। कभी कभार निरीक्षण के नाम पर दो चार ओवरलोड गाडियों को पकड़ कर उन पर जुर्माना लगाकर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली जाती है। अवैध खनन तथा ओवरलोड गाडियों के संचालन पर जब खनिज महकमे के जिम्मेदारों से बात की जाती है तो वह सिर्फ कार्यवाही की जायेगी कहकर अपना पल्ला झाड लेते हैं।
ग्रामीणों की माने तो अवैध खनन तथा ओवरलोडिंग का पूरा खेल प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में कराया जाता है। वहीं दूसरी ओर जनपद के पैलानी तहसील अंतर्गत सांडी खादर स्थित बालू खदान में राजा कंस्ट्रक्शन असलहों के दम पर बालू का खनन करा रहा है। इस खदान में एक पूर्व मंत्री शिवशंकर पटेल भी हिस्सेदार है। जिसके चलते यहां के संचालकों के हौसलें बुलंद है। दिन-रात भारी भरकम मशीनों की सहायता से बालू निकालने के साथ साथ सैकडों की संख्या में रोजाना ओवरलोड ट्रकों को गैर जनपदों के लिए निकाला जाता है।