अशाेक यादव, लखनऊ।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान हुए प्रवासी श्रमिकों के पलायन के पीछे की वजह फेक न्यूज को बताया है।
मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि फेक न्यूज के चलते ही लॉकडाउन में श्रमिकों ने पलायन किया।
प्रवासी श्रमिक भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और रहने जैसी बुनियादी जरूरतों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए चिंतित थे।
लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार ‘इस बारे में पूरी तरह से सचेत’ थी और लॉकडाउन की अवधि के दौरान सभी जरूरी उपाय किए गए, ताकि कोई भी नागरिक नहीं भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधाओं आदि की मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहे। इससे पहले, सोमवार को केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 25 मार्च से लागू किए गए लॉकडाउन में कितने प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई, इसका कोई डाटा नहीं है। गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष बनाने सहित कई उपाय किए।
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‘इन नियंत्रण कक्षों से प्रवासी श्रमिकों सहित फंसे हुए व्यक्तियों की शिकायतों को दूर किया गया।
इनमें भोजन, परिवहन, आश्रय आदि जैसी शिकायतें शामिल थीं।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी हेल्प लाइन और नियंत्रण कक्ष बनाने की सलाह दी गई।’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को अस्थायी आवास, भोजन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल आदि की व्यवस्था कराने के लिए राज्य सरकारों को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड इस्तेमाल करने की अनुमति दी। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर देशव्यापी लॉकडाउन क्यों किया गया के मनीष तिवारी के सवाल का जवाब देते हुए राय ने कहा, ‘किसी बड़ी आवाजाही को रोकने के लिए ऐसा फैसला लिया गया।
कोरोना वायरस संक्रामक बीमारी है।
लोगों की आवाजाही इसे देश के अन्य हिस्सों में तेजी से फैला सकती थी।’
मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन लगाने के चलते ही कोविड-19 का तेजी से प्रसार नहीं हो सका।