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प्रियंका गांधी ने वाराणसी के कबीर चौरा मठ को अगले तीन दिन के लिए बनाया अपना ठिकाना

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अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सांतवें और अंतिम चरण में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने पूरे दम खम के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं, वहीं कांग्रेस महासचिव ने वाराणसी स्थित कबीर चौरा मठ को अगले तीन दिन के लिए अपना ठिकाना बनाया है।

कांग्रेस महासचिव की इस रणनीति को अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों के बीच पैठ बनाने की कोशिश माना जा रहा है। सातवें चरण में जिन क्षेत्रों में चुनाव होना है वहां दलित पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और इनमें संत कबीरदास के अनुयायियों की खासी तादाद है।

बुधवार शाम यहां पहुंची प्रियंका ने गुरूवार सुबह कबीरदास की मूलगादी में दर्शन किए एवं वहां मौजूद महंत से कबीरदास की स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कबीर के पालनहार माता-पिता नीरू-नीमा की समाधि के दर्शन किये और मठ में स्थित कबीर के बचपन और उनके व्यवसाय से जुड़ी पुरानी सामग्रियों को भी देखा। कबीरचौरा संगीत का वैश्विक केंद्र है।

उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की तीन प्रमुख विधाओं क्लैसिकल गायकी, कथक नृत्य और तबले की सिद्धपीठ भी है। कबीरचौरा की संकरी जनाकीर्ण गलियों से होते हुए प्रियंका अपने चुनिंदा सहयोगियों के साथ गायन, वादन और नृत्य के तीनों अंगों के तीन प्रतिनिधि परिवारों तक पहुंची।

पद्मविभूषण दिवंगत पंडित किशन महाराज के पुत्र पंडित पूरन महाराज और उनके शिष्यों और परिचितों से मिलीं और कुछ देर तक तबले के बोल सुनती रहीं। बाद में प्रियंका ने बनारस घराने के गायन, वादन और कथक की तीन पीठों पर सिर नवाया।

गौरतलब है कि संत कबीरदास की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र कबीर चौरा मठ है जहां संत कबीर दास जी ने यहीं अपना जीवन बिताया था। देश भर के कबीरपंथियों और कबीरदास को मानने वाले लोगों के लिए कबीर चौरा मठ एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है। 1934 में महात्मा गांधी जी का भी इस मठ में आगमन हुआ था।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक वाराणसी में कबीर चौरा मठ को अपना ठिकाना बनाकर प्रियंका गांधी ने एक बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। संत कबीर दास के सामाजिक न्याय एवं समानता के संदेश से उत्तरप्रदेश का दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग बहुत जुड़ाव रखता है। उत्तर प्रदेश के सांतवें फ़ेज में जहां चुनाव होना है, उन जगहों पर अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों की संख्या अच्छी-ख़ासी है। साथ ही संत कबीरदास का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस महासचिव ने दलित व अति पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए लगातार आवाज़ उठाई है। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में भी दलित व अति पिछड़े वर्ग के लिए काफ़ी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाएं की हैं। कबीर चौरा मठ का ठिकाना प्रियंका के संघर्षों और सामाजिक न्याय को मज़बूत करने के उनके प्रयासों को लेकर एक बड़ा संदेश देगा।

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