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प्रशांत भूषण मामला उपयुक्त पीठ को सौंपने का निर्देश

अशाेेेक यादव, लखनऊ। अदालत की अवमानना मामले में दोषी पाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर मुकदमे की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल सिर्फ सजा देने का नहीं है, बल्कि संस्था में भरोसे का भी है, जिसके लिए विस्तृत सुनवाई की जरूरत है और इसी के मद्देनजर मामले को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष रखा जाएगा।

यह अवमानना मामला साल 2009 में ‘तहलका’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार के दौरान न्यायपालिका पर भूषण की टिप्पणियों से जुड़ा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से कहा कि उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि लोग राहत पाने के लिए अदालत आते हैं और अगर यही विश्वास हिल जाए तो यह एक समस्या की बात है।

पत्रकार तरुण तेजपाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि लोग न्याय और राहत पाने के लिए अदालत आते हैं। उन्होंने कहा, “हम आते-जाते रहेंगे, लेकिन संस्था की सत्ता हमेशा बरकरार रहेगी। हमें संस्था की अखंडता की रक्षा करनी चाहिए।”

पीठ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा मामले को 10 सितंबर को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। 2 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति मिश्रा ने मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “मेरे पास वक्त की कमी है। मैं ऑफिस से निकल रहा हूं।”

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पाया कि मामले पर अटॉर्नी जनरल के अलावा कुछ और सलाहकारों की मदद की भी जरूरत है। धवन ने पीठ से अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने को कहा। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “हमें फैसला उपयुक्त पीठ पर छोड़ देना चाहिए।”

 
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