पुरी। विश्व प्रसिद्ध महापर्व जगन्नाथ रथयात्रा पुर्व की समस्त धार्मिक अनुष्ठान लगभग पूरे होने को हैं। अपरान्ह करीब दो बजे जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ महाप्रभु नगर भ्रमण करते हुए गुंडिचा मन्दिर मौसी मां के घर पहुंचेंगे। गोवर्द्धनपीठ पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलनन्द सरस्वती महाप्रभु की रीतिनीति के अनुसार अनुष्ठान करेंगे और प्रथम सेवक गजपति महाराज छेरा पहरा यानी सोने की झाड़ू से रथ मार्ग बुहारने की परंपरा का निर्वहन करेंगे।
विभिन्न प्रान्तों व विदेशी भक्तों सहित लाखों की संख्या में लोग अभी भी पहुंच रहे हैं। भोर चार बजे से श्रीमन्दिर के सिंह द्वार पर खड़े नन्दीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ के मार्ग को महिलाएं श्रद्धापूर्वक बुहारने में जुटी थीं। भजन कीर्तन की टोलियों के आगमन और रथ मार्ग पर नारियल फोड़कर दीप प्रज्ज्वलित किये रहे थे। सामान्य समय में लाखों लोग ‘आषाढ़ी बीज’ के दिन रथयात्रा के मार्ग में देवताओं और जुलूस की एक झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जिसमें सजे-धजे हाथी और कई झांकियां शामिल होती हैं।
पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के लिए ‘पहंडी’ अनुष्ठान शुरू हो गया है। यह संकेत रीतिनीति पूर्ण होने की ओर तेजी बढ़ने का बताया जाता है।
कोरोना महामारी के बाद दो साल के अंतराल के बाद इस बार रथ यात्रा में भक्तों की भागीदारी की अनुमति दी गई है। यही वजह है कि भक्तों की ऐतिहासिक भीड़ देखी गयी। लगता है भक्तजन दो वर्ष की कसर पूरी कर ही डालेंगे।
इधर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार रात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ पुरी रेलवे स्टेशन पर जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारी का निरीक्षण किया। गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब ने कहा कि भगवान जगन्नाथ का सबसे बड़ा त्योहार रथ यात्रा है जो हर साल होती है। पिछले दो वर्षों से भक्तों की भागीदारी महामारी के कारण वर्जित थी, लेकिन इस वर्ष अनुमति दी गई है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मुद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा के दौरान भगदड़ की आशंका को देखते हुए श्रद्धालुओ का पांच-पांच लाख रुपये का बीमा किए जाने का फैसला किया है।