अशाेेेक यादव, लखनऊ। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि कोयला आयात को कम करने और कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में नीतिगत सुधार किये जायेंगे।
सरकार प्रतिस्पर्धी एवं पारदर्शी तरीके से कोयला क्षेत्र में नीजि क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती है। इसके लिए वर्तमान के प्रति टन कोयला उत्पादन पर भुगतान के स्थान पर राजस्व शेयरिंग मॉडल काे अपनाया जायेगा।
इसके साथ ही पहले सिर्फ कैप्टिव उपभोक्ताओं को ही कोयला खदानों का आवंटन किया जाता था लेकिन अब कोई भी व्यक्ति कोयला खदानों के लिए बोली लगा सकेगा और कोयला को खुले बाजार में बेच सकेगा।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में प्रवेश को उदार बनाया जायेगा और शीघ्र ही 50 कोयला खदानों को नीलामी के लिये पेश किया जायेगा। इसके लिए किसी योग्यता की जरूरत नहीं होगी बल्कि निर्धारित सीमा के आधार पर अपफ्रंट भुगतान करना होगा।
उन्होंने कहा कि आंशकि तौर पर उत्खनित कोयला खदानों के लिए उत्खन्न सह उत्पादन तंत्र बनाया जायेगा। पहले सिर्फ पूरी तरह से उत्खनित्त होने वाले खदानों का ही आवंटन किया जाता था।
लेकिन अब आशंकि उत्खनित्त खदानों का भी आवंटन किया जा सकेगा। निर्धारित समय से पहले उत्पादन शुरू करने वालों को राजस्व भागीदारी के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जायेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि नीतिगत सुधार से कोयला क्षेत्र में 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश आयेगा। कोयला गैसीकरण या तरलीकरण को भी राजस्व भागीदारी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जायेगा।
कोल इंडिया के वर्ष 2023-24 में एक अरब टन कोयला उत्पादन लक्ष्य को निजी भागीदारी से बढ़ाया जायेगा और कोयला उत्पादन में बढोतरी होने पर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे के लिए रेलवे साइडिंग तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कंवेयर आदि के निर्माण पर 18 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा।
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के कोयला खदानों से कोल बेड मीथेन के उत्खन्न के अधिकार की नीलामी की जायेगी। इन उपायों से कोल इंडिया के ग्राहकों को करीब पांच हजार करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि खनिज क्षेत्र में भी निजी निवेश को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके लिए ढांचागत सुधार किये जायेंगे जिससे विकास को गति मिलने के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित होंगे और खनिज उत्खन्न में अत्याधुनिक प्रौद्योकियों का उपयोग बढ़ेगा।
इसके लिए एक समग्र उत्खन्न सह खनन सह उत्पादन तंत्र बनाया जायेगा और 500 खनन ब्लाकों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की जायेगी। एल्युमीनियम उत्पादन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को गति देने के लिए कोयला और बॉक्साइट खदानों की एक साथ नीलामी की जायेगी।
इससे एल्युमीनियम उत्पादकों की बिजली लागत कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कैप्टिव और गैर कैप्टिव खनन के बीच अंतर को दूर किया जायेगा और अतिरिक्त या अतिशेष खनिज को बेचने की अनुमति दी जायेगी।
खनिज मंत्रालय विभिन्न खनिज पदार्थाें के लिए मिनरल सूचकांक बनाने की तैयारी में है। इसके साथ ही खनिज लीज दिये जाने के दौरान लगने वाले स्टाम्प शुल्क को भी तर्कसंगत बनाया जा रहा है।
रक्षामंत्री रह चुकी सीतारमण ने कहा कि रक्षा उत्पादन में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। इसके लिए इस क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की 49 प्रतिशत की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि घरेलू उत्पादन को गति देने के लिए जिन हथियारों के आयात पर एक वर्ष मे राेक लगेगी उसकी सूची जारी की जायेगी। आयातित रक्षा उपकरणों के कलपुर्जों का स्वदेशीकरण किया जायेगा।
घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए बजट में अलग से प्रावधान होगा। समयबद्ध रक्षा खरीद की नीति होगी। उन्होंने कहा कि आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण किया जायेगा ताकि उन कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया जा सके।
वित्तमंत्री ने कहा कि निजी कंपनियों को ग्रहों की खोज, अन्य अंतरिक्ष गतिविधियों में भागीदारी की अनुमति दी जाएगी और सरकार भारतीय अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाएगी।
मीडिया से बात करते हुए, निर्मला ने कहा कि सरकार उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं में बराबर की भागीदारी का मौका देगी।
केंद्र निजी कंपनियों के लिए एक पूर्वानुमानित नीति और विनियामक माहौल के साथ आएगा। निजी क्षेत्र को उनकी क्षमता में सुधार करने के लिए इसरो सुविधाओं और अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने आगे घोषणा की कि निजी क्षेत्र के तकनीकी-उद्यमियों के लिए रिमोट सेसिंग डेटा तक पहुंच के लिए उदार जियोस्पेशल डेटा नीति तैयार की जाएगी। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है।