अशोक यादव, लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को 1 जनवरी 2020, जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से दिए जाने वाली तीन महंगाई भत्ते की किस्तों को रोके जाने को निराशाजनक बताते हुए इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा व प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश और प्रदेश का हर कर्मचारी आपदा के समय सरकार के साथ खड़ा है।
ज्यादातर केंद्रीय व राज्य सरकार के कर्मचारियों ने अपना 1 दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष या मुख्यमंत्री राहत कोष में स्वेच्छा से दान भी किया है। लेकिन भारत सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की 3 किस्ते रोके जाने से कर्मचारियों का बहुत बड़ा नुकसान होने जा रहा है।
सरकार ने उक्त धन का एरियर भी देने से मना किया है इसलिए कर्मचारियों का लाखों रुपए से ज्यादा नुकसान होगा यदि सरकार चाहे तो उसके पास धन अर्जन के अनेक साधन उपलब्ध है।
आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारी स्वेच्छा से और भी दान कर सकता है लेकिन महंगाई भत्ता फ्रीज किया जाना नितांत अलोकतांत्रिक कदम प्रतीत होता है।
परिषद ने कहा कि जब भी कर्मचारी सुरक्षा से प्रधानमंत्री राहत कोष अथवा मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देता है तो उक्त धनराज उसके कुल हाय से घटते हुए उसे इनकम टैक्स में छूट मिल जाती है।
महंगाई भत्ते को फ्रीज किए जाने पर कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली एक बड़ी धनराशि हर माह कम हो जाएगी। जिससे कर्मचारियों को अब और पेंशनर्स को अपना परिवार चलाने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा महंगाई भत्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित होता है।
महंगाई बढ़ने के साथी महंगाई भत्ते की दरों का निर्धारण किया जाता है इसलिए महंगाई भत्ते को फ्रीज किया जाना कतई उचित नहीं है। परिषद ने उक्त फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।