सूर्योदय भारत समाचार सेवा : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में में सुबह 8:16 बजे आखिरी सांस ली. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निधन की पुष्टि करते हुए कहा, मेरे आदरणीय पिताजी और सबके नेता जी नहीं रहे. इसके बाद से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. देश के तमाम छोटे- बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है.
अपने परिवार को साथ लेकर दशकों तक राजनीति के शिखर पर रहने का जो मिसाल मुलायम सिंह ने पेश की है उसका कोई सानी नहीं। किसी दौर में एक परिवार से, सांसदों और विधायकों का रिकार्ड जो यादव परिवार का रहा उसके आसपास कोई नहीं फटकता।
भारतीय राजनीति में मुलायम के दांव को पटखनी देना किसी नेता के लिए आसान नहीं रहा। कोई भले ही मुलायम पर यह आरोप लगाए कि उनका समाजवाद परिवार के अंदर सिमट कर रह गया है। लेकिन अपने परिवार को साथ लेकर दशकों तक राजनीति के शिखर पर रहने की जो मिसाल मुलायम सिंह ने पेश की है उसका कोई सानी नहीं। किसी दौर में एक परिवार से, सांसदों और विधायकों का रिकार्ड जो यादव परिवार का रहा उसके आसपास कोई नहीं फटकता। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में अध्यापक / कुश्ती के मैदान से उतरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जून 1980 और जुलाई 1982 के बीच, यूपी के सीएम कांग्रेस नेता वी पी सिंह थे, जो एक शाही विरासत वाले राजपूत थे। मुलायम ने इस अवधि में ज्यादातर गैर-उच्च जाति समुदायों के डकैतों की मुठभेड़ में हत्याओं की शुरुआत देखी। विधान परिषद में लोक दल के विपक्ष के नेता, मुलायम ने राज्य भर में “फर्जी मुठभेड़ों” में कथित तौर पर मारे गए 418 लोगों की एक सूची तैयार की और इसे मीडिया और जनता में उठाया। उस समय के तीन सबसे प्रमुख गिरोहों का नेतृत्व क्रमशः एक ठाकुर, एक मल्लाह और एक यादव कर रहे थे, लेकिन सरकार द्वारा वंचित समुदायों को निशाना बनाने की मुलायम की कहानी को जोर मिला। वीपी सिंह का यह आरोप कि कुछ राजनेता चुनावों में अपनी ही जातियों के डकैतों से मदद लेते हैं, टिक नहीं पाया और उनकी सरकार को अंततः मुलायम द्वारा उजागर किए गए कई मुठभेड़ों की जांच का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
1987 में चरण सिंह के निधन के बाद, मुलायम लोक दल के भीतर सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ और भाजपा के राम मंदिर आंदोलन के खिलाफ राज्य भर में एक अभियान शुरू किया। 1988 में उनकी रथ यात्रा पर कई जगहों पर हमले हुए। वी पी सिंह अब राष्ट्रीय राजनीति में राजीव गांधी के लिए मुख्य चुनौती के रूप में उभरे, जनता दल का नेतृत्व कर रहे थे। अक्टूबर 1990 में, भाजपा ने केंद्र में वीपी सिंह सरकार के साथ-साथ यूपी में जनता दल सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मुलायम ने चंद्रशेखर की ओर रुख किया और कांग्रेस के समर्थन से उनकी सरकार बचाई। अक्टूबर 1992 में उन्होंने अपनी समाजवादी पार्टी बनाई।
2 बार पीएम बनते-बनते रह गए
अपने 55 साल के राजनीतिक करियर में मुलायम ने यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक का सफर तय किया। कई बार उन्होंने अपने फैसले से भी सभी को चौंकाया। यही वजह है कि एक बार नहीं बल्कि दो बार वो देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। 90 के दशक में यूपी की सत्ता से हटने के बाद मुलायम सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं थीं। 1996 के लोकसभा चुनाव में सपा को 17 सीटें हासिल हुई। कांग्रेस के खाते में 141 सीटे आई तो बीजेपी को 161 सीटें मिली थी। अटल सरकार 13 दिन में ही गिर गई। जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बंगाल के सीएम ज्योति बसु के नाम पर चर्चा हुई लेकिन सहमति नहीं बन पाई। वाम दल के नेता हरकिशन सिंह सुरजीत ने मुलायम सिंह के नाम की पैरवी की। मुलायम के नाम पर सहमति भी बन गई थी। कहा जाता है कि शपथ ग्रहण का समय तक तय हो चुका था। लेकिन अचानक मामला बिगड़ गया। कहा जाता है कि शरद यादव और लालू प्रसाद यादव ने रातो रात मुलायम सिंह का पत्ता काट दिया। जिसकी वजह से मुलायम पीएम बनते बनते रह गए। फिर साल 1999 में मुलायम सिंह के पास दोबारा प्रधानमंत्री बनने का मौका आया। लेकिन इसके बाद फिर दूसरे नेताओं ने उनके नाम का विरोध किया !
पीएम मोदी ने कहा कि मुलायम सिंह की विशेषता रही कि 2014 में जो आशीर्वाद दिया था, उसमें कभी भी उतार चढ़ाव नहीं आने दिया. वे राजनीतिक विरोधी होने के बाद भाी सबको साथ लेकर चलते थे. उनका कितना बड़ा दिल होगा.. जब भी मौका मिला उनका आशीर्वाद मिलता रहा. पीएम मोदी ने कहा, “आदरणीय मुलायम सिंह को गुजरात की धरती से नर्मदा के तट से भावभीनी श्रद्धांजलि देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार को ये दुख सहने की शक्ति दे.