अशोक यादव, लखनऊ। कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर माने जा रहे एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। भारत ने एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से आंशिक तौर पर बैन हटा दिया है।
भारत ने कहा कि घरेलू जरूरतों का हिसाब लगाने के बाद ही कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित देशों की मांग पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति को लेकर फैसला लिया जाएगा। यानी अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि किस देश को कितनी आपूर्ति की जाएगी।
यह जानकारी इस मामले से जुड़े लोगों ने दी। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की गुहार लगाई है।
नाम न जाहिर होने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर से आंशिक तौर पर बैन हटा दिया गया है, मगर पारासिटामोल का निर्यात प्रतिबंधित रहेगा।
उन्होंने आगे कहा कि घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपलब्धता के आधार पर ही देशों द्वारा की गई मांग को मंजूरी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी से संबंधित मानवीयता के आधार पर फार्मास्यूटिकल्स विभाग और विदेश मंत्रालय इस तरह के इस दवा के निर्यात और आवंटन पर निर्णय लेगा।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मानवीय पक्षों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों, जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं, को उचित मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पाारासिटामोल का लाइसेंस देगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि हम इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ उन देशों को भी करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो, भारत महामारी के संभावित सबसे खराब स्थिति से निपटने के मद्देनजर अपनी आबादी के लिए दवा का स्टॉक कर रहा है और सभी भारतीयों के लिए पर्याप्त होने के बाद ही इस दवा का निर्यात किन देशों को कितना होगा, इस पर फैसला लिया जाएगा।
अमेरिका लगातार भारत से इस दवा की मांग कर रहा है। ट्रंप ने फोन पर पीएम मोदी से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की आपूर्ति की मांग की थी।