अशाेक यादव, लखनऊ। पूर्व सांसद और पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने कहा कि किसान आंदोलन ने लोकतंत्र की ताकत को दिखा दिया है। कृषि कानूनों पर किसानों के रुख ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। किसानों ने देश को बता दिया है कि सरकार का विरोध हो सकता है।
पराड़कर भवन में शुक्रवार को पूर्व सांसद सत्यनारायण सिंह की स्मृति में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में सुभाषिनी अली ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि देश में विशेषकर उत्तर प्रदेश में मानवाधिकारों पर खुला उल्लंघन हो रहा है। अल्पसंख्यक समाज पर बेवजह हमले किए जा रहे हैं और झूठे केस में फंसाया जा रहा है।
उन्होंने पूर्व सांसद सत्यनारायण सिंह को आदर्श नेता बताया और सभी राजनेताओं को उनकी सादगी व आम लोगों के प्रति उनकी भावना से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को मन से नहीं माना।
संघ परिवार हमेशा से मनुस्मृति के आधार पर देश और समाज को चलाने का पक्षधर रहा है। यदि अब भी कड़ाई से विरोध नहीं किया गया तो भारत के संविधान पर आघात को हम रोक नहीं पाएंगे। उन्होंने हाथरस, शब्बीरपुर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, उन्नाव में महिलाओं के विरुद्ध हुई घटनाओं की जिक्र किया और प्रदेश सरकार पर दलित व अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप लगाया।
सीपीआईएम के राज्य सचिव डॉ. हीरालाल यादव ने कहा कि का सत्यनारायण सिंह की विचारधारा व समर्पण से प्रेरणा लेते हुए काम करना होगा, तभी मानवाधिकारों पर हो रहे हमलों को रोका जा सकता है। समाजवादी चिंतक विजय नारायण ने कहा कि सत्यनारायण सिंह ने राजनीति में आदर्श स्थापित किया था।
इस समय जब मानवता के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं, ऐसे में सत्यनारायण सिंह जैसे नेतृत्व की बनारस, उत्तर प्रदेश व देश को जरूरत है। प्रो. मोहम्मद आरिफ, डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया और इससे जन-जन को जोड़कर कृषि कानूनों की सच्चाई सामने लाने की जरूरत बताई।
गोष्ठी से पहले सत्यनारायण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सत्यनारायण सिंह के साथी 80 वर्षीय डॉ. नूरूल हक को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवनाथ यादव ने की और संचालन नंदलाल पटेल ने किया। इस मौके पर पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, राकेश पाठक, दिग्विजय सिंह, सुरेंद्र यादव, विजय कुमार, इरफान बेग, संजीव सिंह, गुलाबचंद, नारायण चटर्जी, देवाशीष आदि मौजूद थे।