अनुपूरक न्यूज एजेंसी, लखनऊ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा है कि किसान सम्मान निधि में किसानों को अपात्र बताकर केन्द्र सरकार ने किसान सम्मान निधि का पैसा वापस करने के लिए कार्यवाही शुरु कर दी है, जिसे तत्काल बंद किया जाए। केन्द्र सरकार का यह कदम किसान सम्मान निधि के बजाय, किसान अपमान निधि बन गया है। जो सरकार अपने मित्र उद्योगपतियों का लाखों करोड़ रुपया कर्ज माफ कर रही है, वो देश के गरीब अन्नदाता से किसान हित का पैसा वापस ले रही है। 2019 में मोदी सरकार ने जब यह किसान सम्मान निधि शुरु की थी, लोकसभा चुनाव के पहले केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में किसानों का बैंक अकाउंट नंबर लेकर चुनाव से पहले उनको पैसे पहुंच जाएं और किसानों को किसान सम्मान निधि की पहली किस्त पहुंचा दी गई। अब केन्द्र सरकार कह रही है कि जो लोग इसके पात्र नहीं हैं और उन्होंने किसान सम्मान निधि प्राप्त की है, वो प्राप्त पैसा किसान वापस करें। सरकार किसानों को पैसे वापस करने के लिए नोटिसेज़ भी भेज रही है। पूरे देश में लगभग दो करोड़ किसानों को अपात्र बताकर किसानों से वसूली करने की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए।
सूखा ग्रस्त प्रदेश: उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश को तुरंत सूखा ग्रस्त प्रदेश घोषित करे। क्योंकि इस वर्ष औसत वर्षा से 44 प्रतिशत कम वर्षा अभी तक हुई है। जिस कारण से खरीफ की सभी फसलें सूख गई हैं।इसके साथ ही साथ प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करने के बाद प्रदेश के समस्त किसानों को उनकी फसलों का मुआवजा तुरंत प्रदान किया जाए। किसानों के समस्त कृषि देय, जैसे- कृषि उपकरण, खाद, बीज, कीटनाशक के लोन पर 6 माह (अगली फसल तक) के लिए ब्याज स्थगित किया जाए। समस्त क्रेडिट कार्ड (केसीसी) किसानों का ब्याज भी स्थगित किया जाए।
मुफ्त राशन: 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने मतों को प्रभावित करने के लिए पात्र कार्डधारकों को मुफ्त खाद्यान्न योजना शुरु की थी, जो अब उत्तर प्रदेश सरकार ने बंद कर दी है। मतलब निकल गया, वोट ले लिया, तो अब मुफ्त का राशन भी बंद। जबकि बेरोजगारी- गरीबी और बढ़ी है। गरीबों की क्रय शक्ति और घटी है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्याएं बहुत बढ़ गई हैं, ऐसे समय में मुफ्त राशन योजना को बंद करना, प्रदेश सरकार की स्वार्थ और मतलब की राजनीति को उजागर करता है। अब गरीबों को कांग्रेस की बनाई खाद्य सुरक्षा कानून, जिसके तहत लगभग 67 प्रतिशत लोगों को 2 रुपए किलो गेहूँ और 3 रुपए किलो चावल मिलेंगे। एक कांग्रेस पार्टी ही है, जो गरीबों के हित की स्थाई योजनाएं बनाती है।