केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ0 एल0 मुरुगन ने कहा प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच का नतीजा – हम अपनी पुरानी संस्कृति को काशी तमिल संगमम के जरिए आगे बढ़ा रहे हैं।
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, वाराणसी : एक माह तक चलने वाले काशी तमिल संगमम समारोह का शनिवार को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने उद्घाटन किया।
काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन से पूर्व तमिलनाडु से पधारे शैव मठाधीशों (आधीनम ) के समूह से मुलाकात की। उसके बाद काशी तमिल संगमम में विशेष तौर तमिलनाडू से शामिल होने आए छात्रों के समूह से मिले।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर काशी तमिल संगमम पर आधारित लघु फिल्म के अलावा काशी तमिल को जोड़ने वाली दो पुस्तकों का विमोचन भी किया। काशी तमिल संगमम के इस आयोजन में सांस्कृतिक समूहों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
उद्घाटन समारोह में अपने स्वागत भाषण में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल मुरुगन ने काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों से चले आ रहे संबंधो का जिक्र किया। श्री मुरुगन ने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी सोच का नतीजा है कि हम अपनी पुरानी संस्कृति को काशी तमिल संगमम के जरिए आगे बढ़ा रहे हैं।
डॉ0 मुरुगन ने काशी तमिल संगमम के दौरान केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से लगाई गए प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और सराहा. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री एक भारत—श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को जीवंत कर रहे हैं।
समारोह में अपने संबोधन में सुप्रसिद्ध गायक और सांसद श्री इलैयाराजा ने काशी और तमिल के बीच पुराने संबंधों का जिक्र किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में आयोजित काशी तमिल संगमम उत्तर एवं दक्षिण भारत के दर्शन, संस्कृति व साहित्य की गौरवशाली विरासत को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना के अनुरूप समृद्ध करेगा।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा , कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. राधाकृष्णन,
बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर जैन, आईआईटी चेन्नई के निदेशक वी. कामाकोटि सहित कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थी।
16 दिसंबर 2022 तक चलने वाले इस समारोह में तमिलनाडु से 12 समूहों में कुल 2500 लोगों को काशी आमंत्रित किया गया है। उद्घाटन समारोह में छात्रों का पहला समूह मौजूद था। एक महीने तक चलने वाले काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति की इन दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों/विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान- सेमिनार, चर्चा आदि आयोजित किए जाएंगे जहां दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है।
तमिलनाडु से आए समूह काशी की ऐतिहासिक महत्ता को समझेंगे। इस दौरान तमिलनाडु की विभिन्न सांस्कृतिक टोली काशी में अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।
”एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला ये संगमम प्राचीन भारत और समकालीन एकता को मजबूत करेगा। काशी-तमिल संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं-साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, एजुटेक एवं अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों पर केंद्रित होगा। इन विषयों पर विचार- गोष्ठी, चर्चा, व्याख्यान, कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। यह आयोजन छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों, पेशेवरों आदि के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित कार्यप्रणालियों, कला एवं संस्कृति, भाषा, साहित्य आदि से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखने का एक अनूठा अनुभव होगा।
इन चर्चाओं का लाभ ज्ञान के क्षेत्रों से जुड़े वास्तविक साधकों को मिलना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि विशेषज्ञों के अलावा, तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न समूहों के आम साधकों को वाराणसी और इसके आसपास के क्षेत्र की 8 दिवसीय यात्रा के लिए लाया जाए। संभावित तौर पर छात्रों, शिक्षकों, साहित्यकारों (लेखकों, कवियों, प्रकाशकों), सांस्कृतिक विशेषज्ञों, पेशेवरों (कला, संगीत, नृत्य, नाटक, लोक कला, योग, आयुर्वेद), उद्यमियों, (एसएमई, स्टार्ट-अप) व्यवसायी, (सामुदायिक व्यवसाय समूह, होटल व्यवसायी,) कारीगर, विरासत संबंधी विशेषज्ञ (पुरातत्वविद, टूर गाइड, ब्लॉगर आदि) आध्यात्मिक, ग्रामीण, विभिन्न संप्रदाय से जुड़े संगठन) सहित 12 ऐसे समूहों की पहचान की गई है। ये लोग शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे, उसी क्षेत्र से जुड़े वाराणसी के लोगों के साथ बातचीत करेंगे और वाराणसी एवं उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करेंगे।