अशाेक यादव, लखनऊ। एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना बिजली संकट के बीच उत्पादन बढ़ाकर इस संकट से उबरने का भले प्रयास कर रही है, किंतु आंतरिक स्तर पर ऊंचाहार में भी कोयला संकट को लेकर बड़ा मंथन चल रहा है । इस बीच रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक एस के सपरा ने कोयला परिवहन को लेकर निरीक्षण किया है।
ज्ञात हो कि वर्तमान में एनटीपीसी ऊंचाहार की कुल छः इकाइयों में से पांच इकाइयों में पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। जबकि 210 मेगावाट क्षमता की एक नंबर यूनिट को बंद करके उसमे मरम्मत का काम किया जा रहा है। बिजली संकट के बीच उत्पादन बढ़ाकर ऊंचाहार परियोजना ने संकट से उबरने में मदद जरूर की है , किंतु कोयला को लेकर ऊंचाहार में भी संकट पैदा हो गया है। ऊंचाहार परियोजना में इस समय मात्र दो दिन के लिए कोयला का भंडारण है।
जबकि रोज आने वाले कोयला केवल एक दिन ही चल पा रहा है । इन तमाम स्थितियों के बीच शुक्रवार को मंडल रेल प्रबंधक ऊंचाहार परियोजना पहुंचे हैं । उन्होंने रेल माल गाड़ियों से आने वाले कोयला को खाली करने की व्यवस्था का जायजा लिया है। डीआरएम ने एनटीपीसी के कोल हैंडलिंग प्लांट का निरीक्षण किया। उनका विशेष जोर इस बात पर था कि मालगाड़ियों को जल्द से जल्द यहां खाली कर दिया जाए । जिससे उन्हें वापस भेजा जा सके।
इसके लिए उन्होंने बैगन ट्रिपलर का निरीक्षण किया है । साथ ही एनटीपीसी अधिकारियों के साथ बैठक करके आश्वासन दिया है कि रेलवे विभाग एनटीपीसी को बराबर आपूर्ति देता रहेगा । यहां पर यह भी शर्त थी कि झारखंड के कोयला खदान कोयले की पर्याप्त आपूर्ति देते रहें ।
रोज आ रही आठ मालगाड़ियां
एनटीपीसी में इस समय करीब आठ मालगाड़ियां कोयले की आपूर्ति लेकर आ रही है। जिसमे छः मालगाड़ियां झारखंड से घरेलू कोयला लेकर आती है, जबकि औसतन दो मालगाड़ियां विदेशी कोयले की आपूर्ति लेकर आ रही है । विदेशी कोयले की आपूर्ति अडानी ग्रुप कर रहा है। इस प्रकार से करीब 28 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति रोज हो रही है। उधर 28 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत भी रोज हो रही है।
इसके अलावा एनटीपीसी के भंडारण में करीब साठ हजार मीट्रिक टन कोयला है । जो करीब दो दिन के लिए ही है । जबकि कोयला का भंडारण करीब पंद्रह से बीस दिन के लिए किया जाता रहा है। कोयला संकट के बाद एनटीपीसी का कोयला भंडारण घटा है। एनटीपीसी की जनसंपर्क अधिकारी कोमल शर्मा का दावा है कि ऊंचाहार में कोयले की कमी नहीं है, प्रतिदिन पर्याप्त कोयले की आपूर्ति मिल रही है।