पुलवामा हमले की साजिश में पकड़े गए एक आरोपित को कोर्ट से जमानत मिल गई है। ऐसा इसलिए हुआ कि मामले की जांच कर रही एनआईए इस मामले में एक साल बाद भी चार्जशीट पेश नहीं कर सकी। इसके बाद पुलवामा के ही रहने वाले और मामले में आरोपित युसुफ चोपान ने जमानत की अर्जी दी थी।
दिल्ली के पटियाला हाउस एनआईए कोर्ट में उसके वकील ने कोर्ट में कहा कि युसुफ को हिरासत में 180 दिन हो गए हैं और अभी तक एनआईए की ओर से चार्जशीट पेश नहीं की गई है जिससे जमानत का आधार बनता है। इसके बाद अदालत ने आरोपित को 50 हजार के निजी बॉन्ड पर जमानत दे दी। साथ ही उसे आदेश दिया गया कि वह जांच एजेंसी को पूरा सहयोग करे।
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में एक आतंकी ने विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी को सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दिया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
धमाका इतना ज़ोरदार था कि एक बस के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे। यह बस सीआरपीएफ की 54वीं बटालियन की थी। जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की जिम्मेदारी ली थी। पुलवामा के रहने वाले आदिल अहमद डार ने इस हमले को अंजाम दिया था।
पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा में हुई चूक को लेकर भी गंभीर सवाल उठे थे। मसलन केंद्रीय पुलिस बल को बख्तरबंद गाड़ियां यानी आर्म्ड व्हीकल क्यों नहीं मुहैया कराई गई थीं? काफिले में लगभग 2500 जवान थे इसलिए यह सवाल भी था कि इतने सारे जवानों को एक साथ क्यों भेजा जा रहा था।
कहा गया कि बर्फबारी से कुछ दिन हाईवे बंद होने के कारण सीआरपीएफ के जम्मू कैंप में कई जवान इकट्ठा हो गए थे। लेकिन फिर सवाल उठा कि इतनी तादाद में भेजने के बजाय उन्हें एयरलिफ्ट भी तो कराया जा सकता था। बाद में निर्देश जारी हुआ कि ऐसे हालात में यही किया जाए। हमले के दो मुख्य साज़िशकर्ता बताए गए मुदासिर अहमद ख़ान और सज़्जाद भट को पुलिस ने पिछले साल मुठभेड़ में मार गिराया था।
उधर, इस मामले के आरोपित को जमानत मिलने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी नेता अहमद पटेल ने कहा है कि मामले की जांच में इस तरह का रवैया इस हमले में शहीद हुए जवानों का अपमान है।