लखनऊ। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा आयोजित भारतीय भाषा महोत्सव 2020 कार्यक्रम का सीएम योगी ने उदघाटन किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी व आधुनिक भारतीय भाषा विभाग और उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। इसको उन्होंने आर्थिक स्वावलंबन से भी जोड़ा।
भाषा संस्थान और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से शनिवार को मालवीय सभागार में तीन दिवसीय भारतीय भाषा महोत्सव 2020 के शुभारंभ अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शताब्दी वर्ष में भारतीय भाषा महोत्सव एक बड़ा कदम है।
हम सभी को पता है कि किसी भी मनुष्य की अभिव्यक्ति का आधार उसकी भाषा होती है। हर किसी के संवाद का माध्यम भी भाषा होती है। इसके बगैर अभिव्यक्ति संभव नहीं है। इसके बाद भी हमसे चूक हो जाती है। जिस भाव के साथ हम अपनी भाषा को व्यक्त करते है, वही हमारी ताकत है। भाषा, रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हम आज भी अपने आपको पहचानने में भूल कर रहे हैं। तुलसीदास जी ने अवधी में श्रीरामचरितमानस के माध्यम से बहुत कुछ दिया।
भक्ति के माध्यम से देश की स्वाधीनता की शक्ति को जगाने की ऊर्जा श्रीरामचरितमानस ने दी। श्रीरामचरितमानस किसी बंधन में नहीं बंधा है। यह हिंदी, संस्कृत, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ में रचित है। लौकिक संस्कृति का दुनिया में सबसे बड़ा महाकाव्य भारत ने दिया है।
‘महाभारत’ के रूप में एक ऐसा ग्रंथ भारतीय मनीषियों ने दिया है जिसमें पूरे दम के साथ यह कहने का साहस है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष यह चार मानवीय पुरुषार्थ हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष से संबंधित जो कुछ भी है, वह इस ग्रंथ में है, और जो इसमें नहीं है वह अन्यत्र कहीं नहीं है।
एक सामान्य व्यक्ति के मन में एक भावना फूटती है, अचानक उसके मुंह से एक श्लोक फूट पड़ता है और दुनिया के सबसे महान काव्य ‘रामायण’ की रचना होती है। शब्द को जिस भावना से कहा गया वही उसकी ताकत को बढ़ाता है।
भारतीय मनीषा ने शब्द को ‘ब्रह्म’ कहा है। ब्रह्म सत्य है और शाश्वत है। भाषा के शाश्वत रूप को पहचानना और उसके अनुरूप लोगों के लिए सुलभ बना देना ही अमर कृति का निर्माण करता है। जहां पर भी शब्द द्वारा हमारे साहित्यकारों ने इस ब्रह्म तत्व को समझने का प्रयास किया है, वहीं शब्द ‘ब्रह्म’ बन जाता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया और हिंदी के माध्यम से सभी को जोड़ने का प्रयास किया। जिन अंग्रेजों के बारे में कहा गया कि उनके राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता, उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर लेकर देश से भागना पड़ा।
जब महात्मा गांधी जी के हाथों में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व आया तो उन्होंने प्रखरता से कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है। उन्होंने हिंदी को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने की वकालत की। यह वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का 150वां जयंती वर्ष तथा लखनऊ वि.वि. का शताब्दी वर्ष है।
इस महोत्सव का आयोजन भारतीय भाषा के प्रति हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम बनेगा। इसके लिए मैं लखनऊ विश्वविद्यालय को हृदय से धन्यवाद देता हूं। भारतीय भाषा महोत्सव – 2020 का उद्घाटन करते हुए मुझे अत्यंत आनंद की अनुभूति हो रही है।
प्रदेश की राजधानी में भारतीय साधना और संस्कृति का आधार भारतीय भाषा के मनीषियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है।अगले तीन दिन चलेगा भाषा महोत्सव।