
अशाेेेक यादव, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के दर्जनों गांव बाढ़ से बेहाल हैं। नदियां उफान पर हैं। गांव डूब गए हैं और हजारों एकड़ फसलें डूब गई हैं। इससे पहले प्रदेश का किसान ओलावृष्टि और अतिवृष्टि का शिकार हो चुका है।
लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने अन्नदाता को अब तक मुआवजा नहीं दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, भारी मात्रा मंे किसानों को पशुधन का नुकसान भी हुआ है। दर्जनों लोगों की बाढ़ में डूबकर जान भी जा चुकी है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ बैठक कर औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे हैं।
पलियाकलां (लखीमपुरखीरी) में शारदा नदी, तूतीपार एलगिन ब्रिज और अयोध्या में सरयू (घाघरा नदी) खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लोग बंधों और सड़क के किनारे शरण लेकर पड़े हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है। न मिट्टी का तेल, न खाने पीने की सामग्री, नहीं दवाएं और सिर छुपाने के लिए प्लास्टिक या तिरपाल भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है।
अखिलेश ने कहा, बहराइच के 85 गांवों में पानी भरा है। 25 दिनों से बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोग फंसे हुए हैं। बाराबंकी के गणेशपुर चहलारी घाट तटबंध पर 55 वर्षीय पिता 12 वर्षीय पुत्र को बचाने में नदी में डूब गया। पीएसी की फ्लड कम्पनी से मदद मांगने पर जवाब मिला कि स्टीमर में तेल नहीं है।
बाराबंकी में खेत-खलिहान सब जलमग्न हैं। राहत में सड़े आलू दिए गए हैं। गाजियाबाद में पानी पुलिस चौकी तक में घुस गया। हापुड़ में 30 किलोमीटर तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। श्रावस्ती में राप्ती नदी उफान पर है। अखिलेश ने कहा, यही हाल गोंडा, बहराइच, देवरिया, आजमगढ़ में भी है।
नगरों, उपनगरों में भी हालात कमोबेश ऐसे ही है। जलभराव और घरों में पानी से बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है।इस सबसे सरकार बेपरवाह है। भाजपा का एजेण्डा पीड़ितों से दूर ही दूर रहता है। गांवों की बदहाली में भी भाजपा सरकार अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करने से नहीं चूक रही है। यह संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है।