अशाेक यादव, लखनऊ। आर्मेनिया और अजरबैजान की लड़ाई के बीच रूस ने गंभीर आशंका व्यक्त की है। मास्को के फॉरेन इंटेलीजेंस चीफ ने कहा है कि नागोर्नो-करबाख और आसपास का क्षेत्र रूस में प्रवेश के लिए इस्लामिक आतंकवाद का ‘लॉन्च पैड’ साबित हो सकता है।
रूस ने 25 से अधिक वर्षों से चली आ रही आर्मेनिया और अजरबैजान की लड़ाई के दुष्परिणामों की आशंकात व्यक्त की है। इसके साथ ही क्रेमलिन से इस लड़ाई को शांत करने की नई अपील जारी की है।
अर्मेनियाई और अज़ेरी सेनाओं के बीच युद्ध के 10 दिन बीत चुके हैं। खबरों के मुताबिक आर्मेनिया कुछ मुद्दों पर मानने के लिए तैयार था लेकिन अजरबैजान कुछ भी मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। अजरबैजान ने कहा है कि संघर्ष फिलहाल एक ही शर्त पर रुक सकता है यदि आर्मेनिया नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र से अपना दावा वापस लेने के लिए एक समय सीमा तय कर ले।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने लड़ाई बंद करने की अपील की है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चिंता व्यक्त की है। रूस के फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस के प्रमुख सर्गेई नार्यस्किन ने कहा है कि संघर्ष में जो भाड़े के सैनिक आ रहे हैं वह मिडिल ईस्ट के आतंकवादी है।
सर्गेई ने कहा है कि हम हजारों कट्टरपंथियों जूझ रहे हैं अब करबाख युद्ध में पैसा कमाने की उम्मीद करते हुए और कट्टरपंथी कूद पड़े हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि दक्षिण काकेशस क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के लिए एक नया लॉन्च पैड बन सकता है, जहां से वे आसानी से रूस में प्रवेश कर सकेंगे।
सर्गेई की टिप्पणी तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कैवसोग्लू के उस बयान के बाद आई है जिसमें तुर्की ने मास्को पर युद्ध विराम की कोशिशों के नाम पर अधिक सक्रियता दिखाने का आरोप लगाया था। कुल मिलाकर अब तक रूस, फ्रांस और अमेरिका के नेतृत्व में किए गए मध्यस्थता के सभी प्रयास विफल रहे हैं।