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आध्यात्मिक चेतना के प्रकाश पुंज और ज्ञान के अक्षय पिंड थे परमेश्वरन जीः शिवराज सिंह

 

               केरल। आदरणीय स्व. परमेश्वरन जी के रूप में हमने देशभक्त, साहित्यकार, कलाकार, कवि, लेखक, समाजसेवी को खोया है। यह पूरे देश की एक ऐसी क्षति है, जिसे आसानी से पूरा नहीं किया जा सकता है। प्रभु ने श्रद्धेय पी परमेश्वरन को अपने चरणों में स्थान दिया ही है क्योंकि वे प्रभु के ही पुत्र थे। मैं समस्त भाजपा  परिवार की ओर से उनके चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री  शिवराजसिंह चौहान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. परमेश्वरन जी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  जे.पी.नड्डा के प्रतिनिधि के तौर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही। स्व. परमेश्वरन जी का अंतिम संस्कार केरल के मुहाम्मा स्थित उनके पैत्रृक गांव में सोमवार को संपन्न हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री  चौहान ने स्व. परमेश्वरन जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारत ने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, संपादक, संघ के वरिष्ठ प्रचारक, महान विचारक, पद्म विभूषण व पद्म श्री से सम्मानित अपने लाल पी परमेश्वरन  को खो दिया है। आज अंतिम संस्कार में शामिल होने उनकी जन्मभूमि मुहाम्मा आया हूं। मन भारी है और दिल भरा हुआ है। मैं उनके चरणों में नमन करता हूं। उनहोंने कहा कि आज श्रद्धेय पी परमेश्वरन जी के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। देश के सपूत पी. परमेश्वरन आध्यात्मिक चेतना के प्रकाश पुंज और ज्ञान के अक्षय पिण्ड थे। नारायण गुरु, महर्षि अरविन्द एवं स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने का उन्होंने गुरुतर कार्य किया। पद्म विभूषण स्व. पी परमेश्वरन जी आध्यात्मिक विभूति थे। वे मौलिक चिंतक, राष्ट्रवादी विचारक, समाजसेवी, लेखक थे और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। एक व्यक्ति में इतने गुणों का संगम बिना ईश्वर की कृपा के संभव नहीं है। स्व. पी परमेश्वरन जी ने अपने पूरे जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के नाते भारत माता के चरणों में समर्पित किया था और उन्होंने एक स्वयंसेवक के नाते हर दायित्व को कुशलता, निष्ठा और समर्पण के साथ निभाया। उन्होंने भारतीय विचार केंद्रम जैसी परिकल्पना की और राष्ट्रवाद की पूरी लहर विशेषकर केरल और दक्षिण भारत में चलाई। उन्होंने गीता के निष्काम कर्म योग को गीता स्वाध्याय समिति बनाकर युवा और विद्यार्थियों तक पहुंचाया।  चौहान ने कहा कि उनके संकल्प एवं अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए हम सभी लोग अपने आप को समर्पित करें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

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