राहुल यादव, लखनऊ।उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की आगरा मेट्रो रेल परियोजना को शीर्ष अदालत की ओर से हरी झंडी मिल गई है। यह एक मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम(एमआरटीएस) है। जो ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश के तीसरे सबसे बड़े शहर आगरा की आबादी एवं जनसंख्या घनत्व इत्यादि को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। अपेक्षित है कि इस परियोजना के माध्यम से लगभग 20 लाख शहरवासी लाभान्वित होंगे। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ;यूपीएमआरसी इससे पहले लखनऊ मेट्रो परियोजना को साढ़े चार साल से भी कम के रिकॉर्ड समय में पूरा कर चुका है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार से 28 फ़रवरी, 2019 को आगरा मेट्रो परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का अनुमोदन मिला था। इसके बाद 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर से विडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए आगरा मेट्रो रेल परियोजना का शिलान्यास किया गया। यह सिर्फ़ आगरा मेट्रो रेल परियोजना के लिए ही नहीं बल्कि लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर था क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री ने लखनऊ के संपूर्ण हो चुके उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर- सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलियाद्ध पर यात्री सेवाओं का शुभारंभ किया था।
उच्चतम न्यायालय द्वारा आगरा मेट्रो परियोजना से जुड़े पर्यावरण प्रभावों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमिटी (सीईसी) नियुक्त की गई। कमिटी के चेयरमैन एवं अन्य सदस्यों ने 15 एवं 16 जनवरी, 2020 को परियोजना का एक विस्तृत दौरा किया। सीईसी ने 10 फ़रवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी और यूपीएमआरसी की परियोजना के क्रियान्वयन हेतु तैयार रणनीति पर संतुष्टि जताई। सीईसी की सकारात्मक रिपोर्ट ने उच्चतम न्यायालय से अनुमति प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यूपीएमआरसी (पूर्व में लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि.) की दाखिल याचिका पर 14 जुलाई 2020 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगरा मेट्रो रेल परियोजना पर सीईसी की रिपोर्ट का विश्लेषण किया और भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की अनुमोदित आगरा मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन हेतु यूपीएमआरसी को स्वीकृति दे दी। बताते चलें कि 8,37,962 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से तैयार होने वाली आगरा मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत दो कॉरिडोर प्रस्तावित हैं। पहला कॉरिडोर सिकंदरा से ताज ईस्ट गेट तक जो 14 किमी लंबा है और दूसरा कॉरिडोर आगरा कैंट से कालिंदी विहार तक जो लगभग 15.4 किमी. लंबा है। कॉरिडोर-1 के लिए 13 मेट्रो स्टेशन तय किए गए हैं, जिनमें से 6 उपरिगामी (एलिवेटेड) और 7 भूमिगत (अंडरग्राउंड)होंगे।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा, ‘यूपीएमआरसी की टीम इस परियोजना को न्यूनतम संभावित समय में पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और साथ ही सीईसी द्वारा की गईं सभी संस्तुतियों का परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान अक्षरशः पालन किया जाएगा। परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए यूपीएमआरसी द्वारा पहले से ही तैयारियां की जा रही थीं, जो अब ज़मीनी स्तर पर भी दिखना शुरू होंगी। तेज़ गति के साथ अत्याधुनिक सिविल निर्माण के लिए यूपीएमआरसी का ट्रैक रेकॉर्ड बेहद शानदार रहा है और साथ ही, यूपीएमआरसी की कार्यशैली भी हमेशा पर्यावरण-संरक्षण की ही रही है। परियोजना को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि शहर के सभी महत्वपूर्ण रिहाइशी और कमर्शल इलाकों के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों तक अच्छी और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी मिल सके।’