अशाेक यादव, लखनऊ। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलन छोड़ वार्ता का रास्ता अख्तियार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के किसी भी मुद्दे पर यदि किसानों को आपत्ति है तो सरकार उस पर खुले मन से चर्चा को तैयार है।
तोमर ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि वार्ता की प्रक्रिया के बीच में किसानों द्वारा अगले चरण के आंदोलन की घोषणा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए पूरी तरह तत्पर है।
उन्होंने कहा, ”कोई भी कानून पूरा खराब और प्रतिकूल नहीं हो सकता है। सरकार बहुत जोर देकर यह कहना चाहती है कि कानूनों के वे प्रावधान जो किसान के लिए प्रतिकूलता पैदा करते हों, जिनमें किसानों का नुकसान हो, उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से विचार करने के लिए पहले भी तैयार थी आने वाले कल में भी तैयार रहेगी।” तोमर ने कहा कि किसानों को आंदोलन का रास्ता छोड़ना चाहिए और जब चर्चा चल रही है तो आगे के आंदोलन की घोषणा वाजिब नहीं है।
उन्होंने कहा, ”हमने प्रस्ताव भेजा है। उस प्रस्ताव पर जो कहना है वह अगले दिन वार्ता में कही जा सकती है। वार्ता टूट जाए तो आंदोलन के आगामी चरण की घोषणा उचित है। अभी भी आग्रह करूंगा अगले चरण के आंदोलन को वापस लेकर वार्ता के माध्यम से रास्ता ढूंढना उचित रहेगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में किसानों या प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को अगर लगता है कि उनकी कोई बात छूट गई है जो चर्चा करनी चाहिए, या फिर कोई आपत्ति है तो सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है।
तोमर ने कहा, ”सरकार वार्ता के लिए पूरी तरह तत्पर है। जैसे ही उनकी ओर से सूचना आएगी हम वार्ता करेंगे। मुझे आशा है कि रास्ता निकलेगा।” केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को आत्मनिर्भर बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है और इसके लिए किसानों को और गांव को आत्मनिर्भर बनाना ही होगा।
उन्होंने कहा, ”जब तक कृषि और गांव दोनों आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे तब तक देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो सपना है पूरा नहीं होगा। इसलिए सरकार द्वारा कोशिश की गई कि गांव और किसान आत्मनिर्भर बनें और समृद्ध बनें।
कृषि कानूनों के माध्यम से हमने नये द्वार खोलने की कोशिश की है। इस पर जो किसानों की भ्रांति थी, उस भ्रांति को दूर करने के लिए हमने प्रस्ताव भेजा है। मैं संगठनों से पुनः आग्रह करता हूं जल्दी से वार्ता के लिए तिथि तय करें । सरकार उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है।”
सरकार ने स्पष्ट किया है कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। तोमर ने दोहराया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली जारी रहेगी और कृषि उपज विपणन समितियों के अन्तर्गत मंडियों को समाप्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन कोई भी किसी भी वजह से नहीं ले सकता और खरीदार किसानों की भूमि में कोई बदलाव नहीं कर सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुबंधकर्ता बिना पूरा भुगतान किये अनुबंध को समाप्त नहीं कर सकेंगे।