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अदालत में दायर नई पेंशन नीति का केस, हाईकोर्ट ने डीजीपी से चार सप्ताह में मांगा जवाब

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रदेश के दर्जनभर जिलों में तैनात करीब एक हजार कांस्टेबलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 में नई पेंशन नीति लागू करने के आदेशों को चुनौती दी है। इन कांस्टेबलों ने सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग की है।

दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार और पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों समेत डीजीपी मुख्यालय से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने जय नारायण व शिव प्रताप सिंह सहित सैकड़ों कांस्टेबलों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर दिया है। 

सीनियर एडवोकेट विजय गौतम का तर्क है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित निर्णय के क्रम में यूपी सरकार द्वारा  वर्ष 2005 में नई पेंशन योजना लाना संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल होने के कारण असंवैधानिक है। उन्होंने कोर्ट से इस नीति को असंवैधानिक करार देने की मांग की। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री गौतम ने कहा कि सरकार की नई पेंशन स्कीम संविधान के अनुच्छेद 21,14,16 व 39 के विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है।

मथुरा, आगरा, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर व बरेली में तैनात कांस्टेबलों की नियुक्ति सपा शासनकाल में हुई थी। इनकी नियुक्ति को बाद में बसपा शासनकाल में निरस्त कर दिया गया था। इन कांस्टेबलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवा में बहाल किया गया था। ये सभी बहाली के बाद अपनी भर्ती तिथि से काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ न देकर कानूनी भूल की है। नई  पेंशन स्कीम में इन्हें शामिल करना गलत व असंवैधानिक है ।

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