अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि राशन कार्ड धारकों के लिये नये नियम बनाकर खाद्यान्न योजना से गरीबों को वंचित करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने चुनावी लाभ के लिये गरीबों के साथ छल किया है। आराधना मिश्रा ने पार्टी के प्रदेश दफ्तर में रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राशन पाने वाले कथित अपात्रों से वसूली के लिए सरकार शासनादेश जारी करती है। चुनावी लाभ के लिए बीजेपी सरकार ने ग़रीबों से ऐसा छल किया है जिसकी दूसरी मिसाल नहीं है।
इस मुद्दे को विधानसभा में पार्टी की ओर से ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा। सरकार को इस मसले पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। इस शासनादेश ने बीजेपी का असली चाल, चरित्र और चेहरा एक बार फिर बेपर्दा कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के सभी नेता और खुद प्रधानमंत्री ये बार बार जताने से नहीं चूकते कि कैसे उन्होंने कोरोना काल के दौरान मुफ्त राशन बांटा, लेकिन असलियत तो ये है कि लोगों को दो जून की रोटी भी चुनावों को ध्यान में रखकर दी गई थी और अब जब चुनाव खत्म हो गया है तो लोगों के पेट पर लात मारने की तैयारी भी पूरी हो चुकी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि शासनादेश में साफ तौर से कहा गया है कि नए नियमों के तहत राशन कार्ड के लिए पात्र मात्र वह लोग होंगे जिनकी खुद की कोई जमीन न हो, पक्का मकान न हो, भैस, बैल, ट्रैक्टर ट्रॉली ना हो, मोटरसाइकिल न हो, मुर्गी पालन और गौ पालन न करता हो, शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो, बिजली का बिल न आता हो, जीविकोपार्जन के लिए कोई आजीविका का साधन न हो।
मतलब गरीबी दूर करने के बजाय मोदी सरकार में गरीब बने रहने में ही फायदा है। आराधना मिश्रा ने कहा कि शासनादेश के अनुसार ऐसे तमाम मानक के चलते अपात्र घोषित लोगों का राशन कार्ड तुरंत निरस्त कर दिया जायेगा और अगर यह तथाकथित अपात्र स्वयं राशन कार्ड नहीं दे देते हैं तो इनसे कोरोना जैसी महामारी के दौरान दिए हुए राशन की वसूली और कुर्की तक की जाएगी।
आंकड़े बताते हैं कि देश के 84 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है, लोगों की नौकरियां नष्ट हो गयीं, महंगाई से लोगों की कमर टूट रही है और उस दौरान यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी राशन कार्ड वाला अगर अपात्र पाया जाता है तो उससे वसूली छोटे मोटे दाम पर नहीं बल्कि 24 रूपये प्रति किलो गेहूं, 32 रूपये प्रति किलो चावल पर होगी। यही नहीं नमक, दाल और खाने के तेल की वसूली तो बाजार के रेट पर होगी।
यह योगी सरकार की क्रूरता और संवेदनहीनता का जीता-जागता सबूत है। उन्होंने कहा कि 2013 का खाद्य सुरक्षा कानून साफ़ तौर से यह अंकित करता है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 79.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 64.4 प्रतिशत लोगों को खाद्य सुरक्षा का फायदा पहुंचना चाहिए।