टोरंटो: हांगाकांग में विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ लाखों लोग सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई हफ्तों से लगातार जारी इन प्रदर्शनों से चीन चिंता में है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी किए हुए है। ओटावा में स्थित चीनी दूतावास ने कनाडा को हांगकांग के मामलों में हस्तक्षेप बंद करने की चेतावनी दी है। एक प्रवक्ता ने रविवार को दूतावास की वेबसाइट पर एक बयान पोस्ट करते हुए कहा कि ‘‘कनाडाई पक्ष को अपने शब्दों और कार्यों में सावधान रहना चाहिए। कनाडा और यूरोपीय संघ ने शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी किसा, जिसमें कहा गया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार हांगकांग के मूल कानून में निहित है। चीनी क्षेत्र में पिछले कई हफ्तों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के नरम पड़ने के कोई संकेत नहीं है। गंभीर रूप ले चुके आंदोलन की मांगों में शहर के नेता का इस्तीफा, लोकतांत्रिक चुनाव और सुरक्षा बल के इस्तेमाल की स्वतंत्र जांच कराना शामिल है। मुख्यभूमि चीन की पुलिस पास के शेन्झेन में अभ्यास कर रही है।
जिससे उन अटकलों को हवा मिल रही है कि विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए उन्हें वहां भेजा जा सकता है।इस कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपराध करके हांगकांग आ जाता है को उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेज दिया जाएगा। हांगकांग की सरकार इस मौजूदा कानून में संशोधन के लिए फरवीर में प्रस्ताव लाई थी। कानून में संशोधन का प्रस्ताव एक घटना के बाद लाया गया। जिसमें एक व्यक्ति ने ताइवान में अपनी प्रमिका की कथित तौर पर हत्या कर दी और हांगकांग वापस आ गया।हांगकांग की अगर बात की जाए तो यह चीन का एक स्वायत्त द्वीप है। चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है। वहीं हांगकांग की ताइवान के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। जिसके कारण हत्या के मुकदमे के लिए उस व्यक्ति को ताइवान भेजना मुश्किल है। अगर ये कानून पास हो जाता है तो इससे चीन को उन क्षेत्रों में संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति मिल जाएगी, जिनके साथ हांगकांग के समझौते नहीं हैं। जैसे संबंधित अपराधी को ताइवान और मकाऊ भी प्रत्यर्पित किया जा सकेगा।