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सिविल कोर्ट में पेशी के लिए ले जाएगये गैंगस्‍टर संतोष की हत्या, अज्ञात अपराधियों ने मारी गोली

लखनऊ : बिहार के सीतामढ़ी सिविल कोर्ट में पेशी के लिए ले जाए जा रहे गैंगस्‍टर संतोष झा की अज्ञात अपराधियों ने गोली मारकर हत्‍या कर दी. संतोष झा को जैसे ही कोर्ट परिसर में लाया गया उसके सिर में पिस्टल से किसी ने गोली चलाई और वो भाग गया. लेकिन हमले के समय कई सुरक्षाकर्मी संतोष झा के साथ चल रहे थे जिन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ. कोर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे से मिले फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि गोली लगते ही संतोष झा जमीन पर गिर पड़ा और हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मी उसे उठाकर अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी में बैठा रहे हैं.

बता दें कि इंजीनियर मुकेश कुमार व ब्रजेश कुमार की हत्या के मामले गैंगस्टर संतोष झा और मुकेश पाठक सहित दस अभियुक्तों को दरभंगा की अदालत ने सात मार्च, 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. संतोष झा के गुर्गों ने रंगदारी नहीं देने पर सड़क निर्माण कंपनी के दो अभियंताओं को 26 दिसंबर, 2015 के दिन एके- 47 से भून दिया था.

कंपनी के अभियंता मुकेश कुमार तथा ब्रजेश कुमार की मौत से कंस्‍ट्रक्‍शन करने वाली कंपनियों में दहशत फैल गयी थी. इस घटना ने बिहार के पुलिस महकमा को भी हिला कर रख दिया था. इसके बाद पुलिसिया कार्रवाई शुरू हुई और अंतत: पुलिस तथा एसटीएफ की टीम ने पूरे गैंग को दबोच लिया था.

माफिया डॉन संतोष झा ने मिथिला में बिहार पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट बना रखा था. इसे उसने नक्सलियों के ग्रुप के तर्ज पर तैयार किया था. संतोष और विकास पहले नक्सली गिरोह में अहम पदों पर रह चुके थे, लेकिन एक नक्सली कमांडर को धोखे से मरवाकर दोनों सरगना बन बैठे. इसके बाद दोनों ने इस नक्सली ग्रुप को क्रिमिनल ग्रुप मे तब्दील कर दिया. पूरे इलाके का यह सबसे बड़ा लेवी वसूलने वाला गिरोह बन गया. इस गिरोह के पास तीन AK47 राइफले हैं. बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए AK47 राइफल का इस्तेमाल किया जाता है.

दरभंगा इंजीनियर मर्डर केस में भी इंजीनियरों की हत्या AK 47 से ही की गई थी. पहले रोड बना रही कंपनी से गैंगस्टर संतोष झा ने करोड़ों की रंगदारी मांगी और नहीं देने पर संतोष झा ने अपने गुर्गों से इंजीनियरों की हत्या करवा दी. इस गिरोह का संपर्क कई सफेदपोशों और खाकीधारियों से भी है. समय-समय पर इस गिरोह को इन लोगों का साथ मिलता रहता है. इससे ये बचने में कामयाब हो जाते हैं. इस ग्रुप में लड़के एक सिंडिकेट की तरह काम करते हैं. करीब 40 ऐसे लड़के हैं, जिन्हे संतोष झा गिरोह तन्ख्वाह भी देता है.​

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