
अशाेेेक यादव, लखनऊ। कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर कड़ा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह कोरोना महामारी की आड़ में धनाढ्यों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम-पीएसयू बेच रही है और श्रमिकों के हितों को कुचल जा रहा है।
खड़गे ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि कोरोना से निपटने के ठोस उपाय करने की बजाय इस महामारी की आड़ में सरकर अपने नकारात्म एजेंडे पर काम कर रही है और पीएसयू को बेचने तथा श्रमिको को सुरक्षा देने वाले कानूनों को कमजोर कर रही है।
कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर कड़ा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह कोरोना महामारी की आड़ में धनाढ्यों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम-पीएसयू बेच रही है और श्रमिकों के हितों को कुचल जा रहा है।
खड़गे ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि कोरोना से निपटने के ठोस उपाय करने की बजाय इस महामारी की आड़ में सरकर अपने नकारात्म एजेंडे पर काम कर रही है और पीएसयू को बेचने तथा श्रमिको को सुरक्षा देने वाले कानूनों को कमजोर कर रही है।
कांग्रेस नेता ने सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज को आंख में धूल झोंकने की कोशिश बताया और कहा कि इसमें देश मे किसी भी क्षेत्र में आर्थिक सुधार नही नही होगा।
पैकेज की घोषणा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ सुर्खियों में रहने का प्रयास किया है। इसमें लोगो को राहत देने के लिए कोई भी उपाय नही किये गए हैं।
खड़गे ने कहा कि शीर्ष उद्योगपतियों ने सरकार से गरीबों के खाते में 5000 से 7500 रुपये हर माह डालने का आग्रह किया था ताकि गरीब आज़ादी से अपनी जरूरत को पूरा कर सके।
उनकी क्रय क्षमता बढ़े लेकिन सरकार ने इस सलाह को नही माना और इससे 13 करोड़ गरीब प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि इसमें किसानों और खेतिहर मज़दूरों की घोर अनदेखी हुई।
उनका कहना था कि सरकार हर चार माह में किसान के खाते में दो हज़ार रुपये डाल कर हर माह उसे सिर्फ 500 रुपये दे रही है जो बहुत कम है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर गांव को लौट रहे हैं और इस स्थिति में मनरेगा ही उनको काल दिल सकता है।
सरकार ने इस मद में 40 करोड़ रुपये डाले हैं लेकिन उससे 200 रुपये की दर से मज़दूरों को सिर्फ 30 दिन का ही रोजगार मिलेगा जो उनके लिए बहुत कम है।
उन्होंने उद्योगों के लिए 30 हज़ार करोड़ जारी करने को आंख में धूल झोंकने वाला बताया और कहा कि यह पैसा भवन तथा निर्माण क्षेत्र के कामगारों के सेस से मिलेगा जिसे सरकार पहले ही जुटा चुकी है।