नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को लगातार छठी बार स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देंगे और प्रचंड जनादेश के बाद सत्ता में वापसी के बाद उनका लाल किले से यह पहला भाषण होगा. उम्मीद की जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर पर किये गए ऐतिहासिक निर्णय से लेकर अर्थव्यवस्था की स्थिति तक वह विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे.मोदी 15 अगस्त के अपने संबोधन का उपयोग पूर्व में सरकार की महत्वकांक्षी परियोजनाओं जैसे स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत और भारत के अंतरिक्ष में पहले मानव मिशन की घोषणा के लिए कर चुके हैं. वह इस अवसर का उपयोग उनके नेतृत्व में हो रहे विकास को रेखांकित करने और अपनी सरकार के कामकाज का लेखाजोखा भी पेश करने के लिए करते रहे हैं.
पार्टी नेताओं का मानना है कि हाल में हुए आम चुनाव में भाजपा को मिली उल्लेखनीय जीत और इसके बाद जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने के विवादित किंतु उनकी पार्टी के कोर एजेंडे वाले कदम को संसद की मंजूरी से प्रधानमंत्री के भाषण की दिशा पहले ही निर्धारित हो चुकी है.पिछले हफ्ते राष्ट्र के नाम दिये संदेश में प्रधानमंत्री ने घाटी के लोगों को विकास और शांति का वादा किया था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के फैसले से उत्पन्न चिंताओं को दूर करने की कोशिश की. मोदी गुरुवार को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देने के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी की बराबरी कर लेंगे.वाजपेयी भाजपा के पहले नेता थे जिन्होंने 1998 से 2003 बीच लगातार छह बार लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर भाषण दिया.
हताश विपक्ष भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती देने में नाकाम रहा है और मोदी की 2014 के मुकाबले और अधिक बहुमत से सत्ता में वापसी हुई. कई लोगों का मानना है कि वह इस अवसर का इस्तेमाल सुधार या समाज के विभिन्न वर्गों को रियायत देने की घोषणा के लिए कर सकते हैं.ऐसा भी विचार है कि मोदी आर्थिक मंदी को लेकर जतायी जा रही चिंता पर भी बोलेंगे. वह अकसर अपनी पंसदीदा परियोजनाओं जैसे स्वच्छता, भ्रूण हत्या आदि के लिए जनसमर्थन जुटाने के लिए भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं का उल्लेख करते हैं. लेकिन इस बार वह जल संरक्षण के विषय को प्रमुखता से उठाये जो उनके दूसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं वाला एक मुद्दा. कुछ भाजपा नेताओं ने ध्यान दिलाया कि प्रधानमंत्री के भाषणों में अकसर चैंकाने वाली घोषणाएं होती हैं और यह स्वतंत्रता दिवस भी संभवतरू इससे अलग नहीं हो.