
अशाेक यादव, लखनऊ। 25 हजार से नीचे और तीन किलोवाट के उपभोक्ताओं को बकाया भुगतान में सहूलियत मिल सकती है। इन सभी उपभोक्ताओं के या तो कनेक्शन नहीं काटे जाएंगे या फिर कटने की स्थिति में किस्तों का लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही तीन किलोवाट के उपभोक्ताओं को भी बकाया भुगतान के लिए राहत दी जा सकती है।
वहीं 10 हजार तक उपभोक्ताओं को बकाया भुगतान के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं होगी। कोरोना काल को देखते हुए राज्य उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने इन सभी मुद्दों पर उपभोक्ताओं को सहूलियत देने की मांग की है। वहीं मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा को इन सभी बातों को लेकर सकारात्मक जवाब दिया है।
अवधेश वर्मा ने बताया कि कोविड दूसरी लहर के तुरंत बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां बकाया अभियान के तहत बिजली काटो अभियान की शुरुवात की है। इस दौरान छोटे बकायेदारों के भी कनेक्शनों को काट दिया जा रहा है। जबकि वैश्विक महामारी में बहुत से परिवार निधन और कारोबार के बंद होने से तबाह हो गए हैं।
वर्तमान स्थिति में उनकी हालत बहुत बुरी है। इन सभी दिक्क्तों परेशानियों को देखते हुए उपभोक्ता परिषद ने सरकार व पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से मांग की है कि कोविड संक्रमित और उससे प्रभावित बकायेदार उपभोक्ताओं व तीन किलोवाट के नीचे उपभोक्ताओं को अभी दो महीने का मौका दिया जाय, जिससे उनकी रोजी रोटी पटरी पर आ जाय।
जिन उपभोक्ताओ ने कभी भी बिजली का बिल नहीं जमा किया या उनका बकाया 25 हजार के ऊपर है, उन्ही के खिलाफ अभी अभियान चलाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि अभियान को चलाया जाना इतना ही जरूरी है तो इस संकट के दौर में सभी उपभोक्ताओं जो किस्त की सुविधा मांग रहे उन्हे दिया जाय।
अवधेश कुमार वर्मा बताया कि कोविड संकट के चलते बहुत से परिवार तबाह हो गये हैं उनको सभलने में थोड़ा वक्त लगेगा। पहले इंसान खाने के राशन का इंतजाम करेगा फिर बिजली बिल जमा करने की सोचेगा। ऐसे में सरकार ऐसे उपभोक्ताओ की परेशानी समझे अभी 10 हजार से ऊपर उपभोक्ताओ के बकाये पर उनके संयोजन काटे जा रहे हैं। जो गलत है।
दूसरी ओर उन्होंने यह भी बताया कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के कनेक्शनों को तो बकाये पर काट दिए जा रहे हैं। लेकिन बकाया भुगतान होने के बाद भी उनके कनेक्शन नहीं जुड़ रहे हैं। जो कि चिंता की बात है। अवधेश कुमार वर्मा ने कहा हर विद्युत उपभोक्ता का बिजली कंपनी के साथ एक एग्रीमेंट है। आज एक पक्ष मजबूर है तो दूसरे पक्ष को मानवीय आधार अपनाना चाहिए। यह बात भी सच है की बिजली कंपनियों आर्थिक स्थित ठीक नहीं उन्हे बिजली खरीद का हर माह भुगतान भी करना होता है। लेकिन बीच का एक ऐसा रास्ता निकलना होगा।