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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से नहीं हटेगी ईदगाह, कोर्ट ने खारिज की याचिका

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद सिविल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलें अस्वीकार कर दी।

वकील हरिशंकर जैन व विष्णुशंकर जैन ने 57 पेज के दावे में 1968 के समझौते को चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

इस याचिका में 13.37 एकड़ जगह का मालिकाना हक और ईदगाह हटाए जाने की मांग के साथ अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया था।

वादी पक्ष की आरे से वरिष्ठ वकील हरीशंकर जैन और विष्‍णु शंकर जैन ने बताया कि याचिका की सुनवाई के लिए अदालत में राम मंदिर से संबंधित मामले में न्यायालय के फैसले के पैरा 116 का हवाला दिया और कहा कि मंदिर निर्माण की संकल्पना अमिट ओर अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। महामना मदन मोहन मालवीय आदि द्वारा ली गई यह संकल्पना मंदिर निर्माण के पश्चात भी कायम है।

उन्होंने बुधवार की सुनवाई में श्री कृष्ण जन्मस्थान और कटरा केशवदेव परिसर में भगवान कृष्ण का भव्य मंदिर बनाए जाने से संबंधित इतिहास का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को शाही ईदगाह प्रबंधन समिति से किसी भी प्रकार का कोई हक ही नहीं था। इसलिए उसके द्वारा किया गया कोई भी समझौता अवैध है। जिसके साथ शाही ईदगाह निर्माण के लिए कब्जाई गई भूमि पर उसका कब्जा अनधिकृत है।

उन्होंने कृष्ण सखी के रूप में याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री की मांग का समर्थन करते हुए संपूर्ण भूमि का कब्जा श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने का अनुरोध किया था। हालांकि अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।

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