दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बिजली चोरी के एक मामले में एक शख्स को 50 पेड़ लगाने का आदेश दिया है. दरअसल मुकेश मान पर 2002-03 में आरोप लगा कि उनकी संपत्ति में खंबे पर तार डालकर बिजली चोरी पाई गई.इस मामले में याचिकाकर्ता पर दिल्ली की एक निचली अदालत में सितंबर 2017 में आरोप भी तय हो गए. मुकेश मान ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता के आदेश दिए. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सेटलमेंट के तहत 18,267 रुपए चुका दिए. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि ‘ क्योंकि आप दोनों पक्षों में सेटलमेंट हो गया है और सेटलमेंट के पैसे भी चुका दिए गए हैं इसलिए इस मामले को आगे चलाने से कोई फायदा नहीं होगा. आरोप तय करने का सितंबर 2017 का आदेश रद्द किया जाता है और याचिकाकर्ता को आरोप मुक्त किया जाता है’.
लेकिन इसके आगे दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा ने आदेश दिया ‘समाज की सेवा के तहत याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह 1 महीने के भीतर 50 पेड़ लगाएं’. कोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता मुकेश मान बुद्धा जयंती पार्क में 50 पेड़ लगाएंगे. दिल्ली सरकार के वन मंत्रालय के अधिकारी डेप्युटी कंजरवेटर फॉरेस्ट(वेस्ट) को मुकेश मान संपर्क करेंगे जो याचिकाकर्ता को बताएंगे कि ये काम कैसे होगा. कोर्ट ने बाकायदा 20 पेड़ों के नाम बताए हैं जिनके पेड़ लगाए जा सकते हैं. कोर्ट के मुताबिक गूलर, जामुन, बरगद, आम, अमलतास, सांगवान, अंजीर और कटहल आदि जैसी 20 वैरायटी के पेड़ लगाए जा सकते हैं. मामला केवल पेड़ लगाने पर खत्म नहीं हो जाएगा. कोर्ट ने यहां तक कहा है कि जब यह काम हो जाए तो इसकी कंप्लायंस रिपोर्ट हलफनामे के साथ अदालत को दी जाए. अदालत को पेड़ लगाने से पहले की और बाद की एरियल पिक्चर्स भी दी जाएं. डेप्युटी कंजरवेटर फॉरेस्ट(वेस्ट) को जिम्मेदारी दी गई है कि वह इन पेड़ों की निगरानी करेंगे और इनका बढ़ना सुनिश्चित करेंगे और 6 महीने बाद इन पेड़ों की फ़ोटो के साथ अपडेट देंगे.
याचिकाकर्ता मुकेश मान ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि साल 2002-2003 में उन्होंने अपनी दुकान किराए पर दी थी. लेकिन क्योंकि किराएदार ने किराया नहीं चुकाया इसलिए उनकी बिजली की सप्लाई काट दी गई. जिसके बाद किरायेदार ने बिना उनकी (याचिकाकर्ता दुकान का मालिक) जानकारी और सहमति के पास के खंभे पर सीधा तार डाल दिया. किराएदार पर कार्रवाई हुई हुई और जो भी पेनल्टी की राशि थी वह उसने चुका दी. लेकिन संपत्ति के मालिक यानी याचिकाकर्ता पर आरोप लगा की बिजली चोरी करने में उनकी सहमति थी. जबकि याचिकाकर्ता का कहना था कि उनको ना तो इस बिजली चोरी की कोई जानकारी थी और ना ही ऐसा कोई भी सबूत है जिससे साबित हो कि इस सब काम में उनकी सहमति थी. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता मुकेश मान के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकेश मान को राहत देते हुए सेटेलमेंट की रकम चुकाने के बाद 50 पेड़ लगाने का आदेश दिया.