नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों में ऑडियो और वीडियो दोनों फुटेज होनी चाहिए। न्यायालय ने एक स्थानीय पुलिस थाने को यह बताने के लिए कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार वहां ऑडियो प्रणाली क्यों नहीं लगाई गई।
न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने एक मस्जिद के इमाम के रूप में अपने आधिकारिक और धार्मिक कर्तव्यों को निभाने में याचिकाकर्ता के सामने आ रही कथित बाधा से संबंधित एक याचिका पर विचार करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि पुलिस थानों, लॉक-अप, गलियारों, स्वागत क्षेत्रों, निरीक्षकों के कमरे, स्टेशन हॉल आदि में सीसीटीवी लगाए जाएं।
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में, जबकि नबी करीम पुलिस थाने की वीडियो फुटेज को संरक्षित किया गया था लेकिन ऑडियो फुटेज उपलब्ध नहीं थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि एक व्यक्ति जो ‘‘अवैध रूप से’’ मस्जिद का प्रबंधन कर रहा है, ने उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और थाने में एसएचओ की उपस्थिति में उसके साथ अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार किया।
उन्होंने कहा कि पूरी घटना एसएचओ के कमरे के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई, लेकिन कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने ऑडियो और वीडियो दोनों फुटेज को संरक्षित किये जाने का अनुरोध किया। अदालत ने 27 मई के अपने आदेश में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि पुलिस थानों, लॉक-अप, गलियारों, स्वागत क्षेत्रों, निरीक्षकों के कमरे, स्टेशन हॉल आदि में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। सीसीटीवी कैमरों में ऑडियो और वीडियो दोनों की फुटेज होनी चाहिए।’’