इस्लामाबाद: पुलवामा हमले में देश के 44 जवानों की शहीदी के कुछ देर बाद ही पाकिस्तान के कुख्यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ले ली। मसूद अजहर कभी भारतीय जेलों में चक्की पीसता था । दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण के बाद यात्रियों की रिहाई के एवज में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को मजबूरी में अजहर को छोड़ना पड़ा था। इसके बाद मसूद अजहर वक्त-वक्त पर भारत को जख्म देता रहा। 2001 में संसद पर हमला हो या फिर पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला। आतंक के इस मौलाना ने भारतीय जमीन पर हमेशा खून बहाया है। इसकी करतूतों की फेहरिस्त में अब पुलवामा का आतंकी हमला भी शामिल हो गया है।
बहावलपुर पाकिस्तान का 12वां बड़ा शहर है।अगर इस शहर में कोई शख्स पहुंचता है तो एक सफेद मस्जिद किसी का भी ध्यान अपनी ओर खीचती है।इस मस्जिद का नाम जामिया सुभानअल्लाह है। यही मस्जिद जैश का मुख्यालय और मौलाना मसूद अजहर की मांद है। बहावलपुर इलाके में ही पाकिस्तान आर्मी 31 कॉर्प्स का मुख्यालय है। ये इलाका बेहद संवेदनशील है। कहा जाता है कि इस मुख्यालय में पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रतिष्ठान है। हैरानी बात तो यह है कि जैश मुख्यालय और पाकिस्तान आर्मी के 31 कॉर्प्स के हेड क्वार्टर के बीच की दूरी मात्र 8 से 9 किलोमीटर है।
यानी कि भारत का सबसे वांटेड आतंकी पाकिस्तानी सेना की छत्र-छाया से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर अपने आतंक का मदरसा बेखौफ चलाता है। यहां पर मस्जिद के अलावा लड़कों का एक हॉस्टल भी है। इस हॉस्टल में नए लड़कों के रहने की व्यवस्था है। सूत्रों की माने तो यहां पर स्विमिंग पूल, खेलने का मैदान और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस इलाके में आतंकी मसूद अजहर की धाक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर स्थानीय पुलिस को भी अंदर आने की इजाजत नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पठानकोट हमले के बाद इस जगह पर पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने छापा भी मारा था।